गुरु पद्म पुण्य स्मृति में हुआ-नवकार महामंत्र का अखण्ड जाप
चेन्नई. राष्ट्र संत उत्तर भारतीय प्रवर्तक भण्डारी पद्म चन्द्र म. का जीवन लोक उपकार के प्रति सदैव समर्पित रहा। आत्म कल्याण के साथ-साथ जन कल्याण के लिए भी वे सदा प्रयत्नशील रहे। अपने जीवन काल में उन्होंने स्कूल, कॉलेज, हॉस्पिटल, धर्मस्थान आदि अनेक उपक्रमों की सद् प्रेरणा दी। जिसके द्वारा आज भी सम्पूर्ण मानवता लाभान्वित हो रही है। यह विचार ओजस्वी प्रवचनकार डा.वरुण मुनि ने जैन भवन, साहुकारपेट में श्रद्धालुजनों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
उन्होंने कहा दादा गुरुदेव भण्डारी पद्म चन्द्र म.साधना और सिद्धियों के मण्डार थे। अपने प्रधान शिष्य प्रवर्तक अमर मुनि के जीवन को बखूबी आपने तराशा। गुरुदेव अमर मुनि के प्रवचनों से प्रेरित होकर सैंकड़ों-हजारों लोगों ने व्यसन मुक्त जीवन जीने का संकल्प ग्रहण किया। दादा गुरुदेव पद्म चन्द्र म.सरलता, संयम एवं साधना के त्रिवेणी संगम थे। गुरुदेव अपने गुरुजनों की सेवा के लिए सदा तत्पर रहते थे।
उनके पावन नाम से दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान आदि अनेक स्थानों पर सिलाई स्कूल, कंप्यूटर सेंटर, फ्री डिस्पेंसरियां आदि धर्मार्थ संस्थाएं आज भी बड़ी संख्या में सेवा रत हैं। गुरुदेव का सपना था कि- प्रभु महावीर की जन कल्याणी वाणी केवल जैन समाज तक ही नहीं अपितु जन-जन तक पहुंचे।
इसके लिए उन्होंने जर्मन, लंदन, अमेरिका आदि अनेक देशों में हजारों की संख्या में भगवान महावीर का साहित्य भिजवाया, जो आज भी वहां की यूनिवर्सिटीज की लाईब्रेरियों में शोभायमान है। गुरुदेव पद्म चन्द्र म. एक भविष्य द्रष्टा वचन सिद्ध महापुरुष थे। उनकी एक और विशेषता थी कि अमीर लोगों की अपेक्षा गरीब लोगों से वे अधिक बात करते थे। कभी कोई संत इसका कारण पूछता तो बड़ी सहजता से फरमाते अमीरों से तो सब संत बात करते हैं, इनसे बात करने वाला भी तो कोई होना चाहिए।
ऐसे महामहिम गुरुदेव की मासिक पुण्य स्मृति के उपलक्ष्य में मदन लाल महेन्द्र कुमार सेठिया एवं दीप चन्द, अजित, राहुल कोठारी परिवार की ओर से 24 घंटे का नवकार महामंत्र का जाप आयोजित हुआ। जिसमें प्रात: 6 बजे से सायं 6 बजे तक बहनों ने एवं सायं 6 बजे से भाईयों ने बड़ी श्रद्धा पूर्वक जाप का लाभ लिया।