श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ मेवाड़ उपसंघ भयंदर के तत्वाधान में श्रमण संघीय जैन दिवाकर महासती श्री कमलावती जी म. सा की सु शिष्या उप प्रवर्तीनी संथारा प्रेरक महासाध्वी गौरव श्री सत्य साधना जीमा. सा. आदी ठाना 7 का चातुर्मास अंबेश भवन में उत्साह पूर्वक चालू है।
आज के प्रवचन में साध्वी जी मा.सा. ने कल के प्रवचन सुख के प्रकार को जारी रखते हुए कहा कि कल पहला सुख *निरोगी की काया* बताया था आज दूसरा सुख *घर में माया* के बारे में विस्तार से समझाते हुए बताया कि घर परिवार दुकान फेक्ट्री ये सभी माया की गिनती में आते हैं। इसमें से एक भी चीज साथ में नही जाती मगर ये एक प्रकार का नशा है जब तक सांस है तब तक ये नशा रहता हैं। कमाओ मगर एक लिमिट में यानी हर चीज में मर्यादा होनी चाहिए। मर्यादा से ही जीवन सफल होता है।
लक्ष्मी चंचल होती हे उससे मन चंचल हो जाता है। उसके आगमन यानी आ *गमन , गमन यानी जाना। लक्ष्मी 4प्रकार से आती है 1 भाग्य लक्ष्मी, जो बिना महनत के मिलती हैं,2 पुण्य लक्ष्मी जो पुण्य करने से मिलती है 3 पाप लक्ष्मी जो लूट पाट पाप कर्म से मिलती है 4, शापित लक्ष्मी जो किसी की अनामत हड़प लेने से मिलती हे।
प्रवचन माला में कल इसी विषय पर प्रवचन होगा। तपस्या की लड़ी में आज उगम बाइजी किशन लाल जी परमार ने 10के पचखान लिए। गुप्त तपस्या भी चल रही है 2/3/4 की भी तपस्या भी आगे बढ़ने के भाव से चल रही हैं। बाहर से पधारे मेहमानो का स्वागत लाभार्थी बाबू भाई दुगड़ परिवार ने किया। महामंत्री बाबुभाई ने मंच संचालन करते हुए मेहमानो का स्वागत किया।यह जानकारी सहमंत्री उमेश सिसोदिया ने दी।