सूरत। राष्ट्र-संत चन्द्रप्रभ महाराज ने कहा कि बारहखड़ी में सबसे महत्तवपूर्ण अक्षर प है क्योकि परिवार, पढ़ाई, पैसा, पति, पत्नी, पैरेंट्स, पुण्य, पाप, परलोक, प्रभु जैसे सारे अक्षर प से प्रारंभ होते हैं। प से हम बेहतरीन जीवन जीने की कला भी सीख सकते हैं। प से हमें तीन प्रेरणाएं मिलती हैं – प्रणाम, प्रार्थना और परोपकार।
जो व्यक्ति रोज सुबह उठकर माता-पिता, सास-ससुर, बड़ा भाई, भाभी आदि सभी बड़ों को प्रणाम कर दुआएं लेता है, 24 घंटे में 24 मिनट प्रभु की प्रार्थना करता है और गरीब व जरूरतमंद लोगों का सहयोग करता है, पशु-पक्षियों को पेट भरता है वह सदा खुश और प्रसन्न रहता है, उसके जीवन में नो-निहाल हो जाता है और उसके जीवन का बेड़ा पार हो जाता है।
संतश्री शनिवार को कुशल कांति खरतरगच्छ संघ द्वारा न्यू आरटीओ के सामने, संजीवकुमार आॅडिटोरियम के पास, पाल में आयोजित दो दिवसीय सत्संगमाला के पहले दिन हजारों श्रद्धालु भाई-बहनों को संबोधित कर रहे थे। संतश्री ने प्रणाम करने की प्रेरणा देते हुए कहा कि एक-दूसरे को प्रणाम करने से परिवार का वातावरण आनंदमय हो जाता है।
पहले के जमाने में बेटा पचास साल तक भी बाप से अलग नहीं होता था क्योंकि घरों में प्रणाम करने की आदत थी लेकिन आज प्रणाम न करने की आदत होने से बेटा शादी करते ही अलग हो जाता है। जब से प्रणाम करने की आदत कम हुई है तब से परिवारों के टूटने और तलाक बढने की बाढ़-सी आ गई है। जिस घर में सुबह की शुरुआत प्रणाम से होती है वहाँ कभी कलह का वातावरण निर्मित नहीं हो सकता।
उन्होंने कहा कि अगर आपके घर में छोटों में प्रणाम करने की आदत नहीं है तो आप बड़प्पन दिखाकर उन्हें प्रणाम करना शुरू कर दीजिए तो वे भी प्रणाम करना सीख जाएँगे।
प्रतिदिन प्रार्थना करने की सीख देते हुए संतप्रवर ने कहा कि अगर घर के सभी लोग सुबह उठकर प्रार्थना करेंगे तो पूरे घर का आभामण्डल ठीक रहेगा। अगर हमारे जीवन या घर पर ग्रह-गोचरों का नकारात्मक प्रभाव है तो वह भी प्रार्थना करने से दूर हो जाएगा। संतप्रवर ने उद्योगपतियों से कहा कि वे फेक्ट्री में भी सुबह-सुबह प्रार्थना करवाएँ। एक माह बाद चमत्कार होगा, उत्पादन दुगुना हो जाएगा और फेक्ट्री का वातावरण मधुर बन जाएगा।
उन्होंने कहा कि भगवान को चंदन, नारियल, सोना, सिक्के, मिठाईयाँ और फूल नहीं, हमारे समर्पण भरे भाव चाहिए। प्रायःकर विद्यार्थी को परीक्षा में, अमीर को बीमारी में, व्यापारी को घाटे में, गरीब को भूख लगने पर, चोर को पकड़े जाने पर और नेता को चुनाव आने पर भगवान की याद आती है।
जब हम उसे केवल संकट में याद करते हैं तब भी वह हमारे संकट हर लेता है काश, हम भगवान को हमेशा याद करना शुरू कर दें हमारे जीवन में संकट आने ही बंद हो जाए। प्रार्थना को संकट की वेला का शस्त्र बताते हुए संतप्रवर ने कहा कि अगर हमारा कोई परिजन संकटग्रस्त हो जाए तो दुखी या बेचेन होने की बजाय उसके लिए प्रभु से दुआ मांगे।
सारी दवाएं भले ही निष्फल्ल हो जाए, पर परमार्थ भाव से की गई दुआ अवश्य सफल हो जाती है। प्रभु से प्रार्थना करते समय उनसे अच्छा स्वभाव, मीठी वाणी, मधुर व्यवहार, उदार हाथ, अच्छी सोच, ईमानदारी की रोटी, संकटों को सामना करने की शक्ति और प्राणीमात्र में प्रभु को निहारने की नजरें मांगें। मूर्ति में भगवान को निहारना सरल है, पर प्रभु की सच्ची पूजा तभी होगी जब हम प्राणीमात्र में प्रभु को निहारेंगे।
संतप्रवर ने कहा कि जिस ईश्वर ने हमें चैबीस घंटे दिए हैं उन्हें हम चैबीस मिनट अवश्य समर्पित करें। याद रखें, पति को पत्नी का आसरा है और पत्नी को पति का, पर अंत में दोनों को अगर किसी का आसरा है तो प्रभु का ही आसरा है। वह सुख में हमारे साथ रहता है, पर दुख में हमें अपनी गोदी में उठा लेता हैै।
परोपकार की प्रेरणा देते हुए संतश्री ने कहा कि जो औरों को देता है वही देवता कहलाता है। जो गरीब और जरूरतमंद लोगों के काम आता है, उनकी सेवा करता है भगवान उसकी झौली सदा भरता है। उन्होंने कहा कि भगवान से प्रार्थना में धन-दौलत नहीं, वरन् औरों के काम आने की सेवा मांगना क्योंकि सेवा से मेवा अपने आप बरसने लग जाते हैं।
जिसके भीतर औरों का भला करने की भावना है उससे अगर सौ गलतियाँ भी हो जाए तो भगवान उसे माफ कर देता है। अन्नदान करने की प्रेरणा देते हुए कहा कि जो अन्नदान करता है उसका अन्नभंडार सदा भरा रहता है। व्यक्ति आतिथ्य सत्कार के लिए सदा तैयार रहें। महिलाएं चार मुठ्ठी आटा ज्यादा भिगोए। चार रोटियों से आपके तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा, पर जिसके पेट में अन्न जाएगा उसका बहुत भला हो जाएगा।
घर में अनुपयोगी अथवा पुराने कपड़ों को देने में संकोच न खाएं। कोई गरीब बीमार हो जाए तो उसे औषधि दिलाने का पुण्य कमाएं। घर के बाहर मटकी भर के रख दें, छत पर कुंडी भर के रख दें ताकि औरों की प्यास बुझाने का सौभाग्य मिल सके। श्रमदान करने की प्रेरणा देते हुए संतप्रवर ने कहा कि आप जिस क्षेत्र में है उस क्षेत्र में श्रमदान करे। व्यापारी महिने में एक दिन न फायदा न घाटे में सामान बेचे, डॉक्टर एक दिन फ्री में देखें, गरीबों के ऑपरेशन निःशुल्क करें, रक्तदान और नेत्रदान का सौभागय लें।
इससे पूर्व मुनि शांतिपिय सागर ने सभी भाई-बहनों को सामूहिक प्रार्थना करवाई। इस अवसर पर तपस्वियों ने दीप प्रज्जवलित किया। कार्यक्रम में मंच संचालन जवेरीलाल देसाई ने किया और आभार चम्पालाल देसाई, पारसमल मण्डोवरा, शांतिलाल मरड़िया ने दिया। गौतमचंद श्रीश्रीमाल, सुरेश एल मंडोवरा और खरतरगच्छ के युवा कार्यकर्ताओं का सहयोग सराहनीय रहा।
राष्ट्र-संतों की धूमधाम से की गई अगवानी- राष्ट्र-संतों के पाल पहुंचने पर भव्य जुलूस निकाला गया जिसमें जैन समाज एवं अन्य समाज के सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। युवा कार्यकर्ताओं ने गुरुदेव के जय की जयकारे लगाए। जगह-जगह अक्षतों से बधावणा किया गया। श्रद्धालु बहिनों ने मंगल-कलष धारण कर गुरुजनों की प्रदक्षिणा दी।
राष्ट्र-संतों के रविवार को भी पाल में होंगे भव्य प्रवचन-श्री कुषल कांति खरतरगच्छ संघ द्वारा राष्ट्र-संतों के रविवार को सुबह 9.30 से 11 बजे तक कुषल वाटिका, न्यू आरटीओ के सामने, संजीवकुमार आॅडिटोरियम के पास, पाल में भव्य सत्संग-प्रवचन कार्यक्रम होंगे।