श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन संघ कम्मनहल्ली में कर्नाटक तप चंद्रिका प.पू. आगमश्रीजी म.सा. ने बताया रुक जा याने शांत हो जा। हमें शांति आनंद लेना हो तो आकुलता व्याकुलता के भाव से रुक जा, मर जा, इस संसार भाव से मर जा। तर जा, मरेगा तभी तो तरेगा। पानी में कोई डूब गया तो वह जीवित रहता है जब तक अंदर है तब तक। अगर मौत हो गई तो ऊपर तैर जाता है। अलग-अलग तरह से समझाया गया।
प.पू. धैर्याश्रीजी म.सा. ने बुद्धि के बारे में बताया। हमारी बुद्धि कैसी हो, अलग अलग तरह की बुद्धियाँ है। अभयकुमारजी की बुद्धि आदि, इसके उदाहरणों से समझाया। आज ऋषभ महावीर बोथरा इनके सात उपवास के प्रत्याख्यान हुए। अध्यक्ष विजयराज चुत्तर ने स्वागत किया। मंत्री हस्तीमल बाफना ने संचालन किया।