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रीति रिवाज़ और परम्पराओं का वैज्ञानिक महत्त्व है: आचार्यश्री देवेंद्रसागरजी

रीति रिवाज़ और परम्पराओं का वैज्ञानिक महत्त्व है: आचार्यश्री देवेंद्रसागरजी
बेंगलुरु। भारतीय संस्कृति मे रीति-रिवाज़ और परम्पराओं का वैज्ञानिक महत्त्व है। जैसे हमारे बुजुर्ग प्रातः उठकर अपने दोनों हाथों को देखते हैं और उसमें ईश्वर का दर्शन करते हैं। धरती पर पैर रखने से पहले धरती माँ को प्रणाम करते हैं क्योंकि जो धरती माँ धन-धान्य से परिपूर्ण करती है, हमारा पालनपोषण करती है, उसी पर हम पैर रखते हैं इसीलिए धरती पर पैर रखने से पहले उसे प्रणाम कर उससे माफ़ी मांगते हैं।
उन्होंने कहा कि सूर्य ग्रहण के समय घर से बाहर  न निकलने की परंपरा के पीछे वैज्ञानिक तथ्य छिपा हुआ है। दरअसल सूर्य ग्रहण के समय सूर्य से बहुत ही हानिकारक किरणें निकलती हैं जो हमें नुकसान पहुंचाती हैं। इसी तरह कहा जाता है कि हमें सूर्योदय से पहले उठना चाहिए क्योंकि इस समय सूरज की किरणों में भरपूर विटामिन डी होता है और ब्रह्म मुहूर्त में उठने से हम दिनोंदिन तरोताजा रहते हैं और आलस हमारे पास भी नहीं फटकता।
घर में पूजा पाठ करते समय धूप, अगरबत्ती, ज्योति जलाते हैं तथा शंख बजाते हैं इन सबके पीछे वैज्ञानिक तथ्य छुपा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि शंख बजाने से शंख-ध्वनि जहाँ तक जाती  है वहां तक की वायु से जीवाणु – कीटाणु सभी नष्ट हो जाते हैं। हमारे यहाँ तीर्थ यात्रा की परंपरा है इस परंपरा के पालन करने से हमें देश के भूगोल का ज्ञान होता है, पर्यावरण के सौंदर्य का बोध होता है और साथ में ये यात्रायें हमारे स्वास्थ्य के लिए भी  लाभकारी हैं क्योंकि इससे हमारा मन प्रसन्न रहता है।
आचार्यश्री ने यह भी कहा कि हमारे सभी रीति-रिवाज़ और त्यौहार हमारे संबंधों को मजबूत करते हैं। विदेशी लोग भारत आकर यहां की  संस्कृति, रीति-रिवाजों और परम्पराओं को देख रहे हैं और अपना रहे हैं। भारतीय संस्कृति से प्रभावित विदेशी पर्यटक मन की शांति के लिए भारत आते हैं और यहाँ आने पर उन्हें एक अजीब से सुकून का अनुभव होता है। 
हमारी भारतीय संस्कृति में माता-पिता और गुरु के पैर छूने की परंपरा  है माता-पिता और बड़ों  को अभिवादन करने से मनुष्य की चार चीजे बढती हैं – आयु, विद्या ,यश और बल प्राप्त होता है।रीति-रिवाजों और परंपरा के पीछे वैज्ञानिक कारणों को जानने और उन्हें अपनाकर अपना जीवन सुखमय बनाने की भी प्रेरणा दी।

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