चेन्नई. साहुकारपेट स्थित जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने श्रीपाल मैन चारित्र के माध्यम से कहा जिस प्रकार सोना अग्नि से तपकर विशुद्ध हो जाता है वैसे ही तप रूपी अग्नि से तपकर मानव का व्यक्तित्व भी निखरता है, आत्मा का सौंदर्य झलकता है। तप वह सूंदर प्रक्रिया है जिससे मानव अपने आत्म स्वरूप को सहज ही प्राप्त कर लेता है।
इसलिए तप की बात आने पर कभी पीछे नहीं हटना चाहिए। साध्वी सुविधि ने कहा वर्तमान में लोगों के अंदर सहनशीलता और विनम्रता नहीं होने की वजह से उनके अच्छे रिस्ते भी टूट जाते है।
सहन करने की ताकत और विनम्रता नहीं होने की वजह से एक ही घर में रहने के बाद भी परिवार में आपसी संबंध अच्छे नहीं होते है। लेकिन सहनशीलता और विनम्रता होने पर घर परिवार, संघ समाज के अंदन मनुष्य आपसी संबंधो को मजबूत बना सकता है। इन गुणों के अभाव की वजह से आज संघ समाज के अंदर अशांति का माहौल बना है।
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से मिठे फल के लिए खेत में बीज के साथ समय समय पर पानी और अन्य खाद्य की जरूरत होती है, क्योंकि आम जितना मधुर होगा उतना ही खाने में मजा आएगा। ठिक उसी प्रकार लोगों को संबंध अच्छे रखने के लिए सहसशील और विनम्र बनने की जरूरत है।
वर्तमान में मनुष्य ने हर परिस्थिति में बदलाव तो कर लिया है लेकिन जीवन में परिवर्तन नहीं कर पा रहा है। आपसी रिस्तो को मधूर बनाने के लिए कुछ समर्पन करना और कुछ समर्पण रखना पड़ता है। मीठा खाने के लिए मीठा बनना पड़ता है। अपने स्वभाव को सोने जैसा लचीला बनाने की जरूरत है। लचीलापन आने पर सभी पास आना पसंद करते है।
लेकिन कठोर मनुष्य होने पर उसके सभी रिस्ते टूट जाते है। अब तय आपको करना है कि रिस्ते बनाने है कि तोड़ने है। उन्होंने कहा कि कुएं के पानी से अगर प्यास बुझाना है तो झुकना होगा। अगर झुकना नहीं आया तो प्यासा ही जीवन निकल जाएगा। नवपद आयबिल तप सम्पन हुआ।
दोपहर मे जय संस्कार महीला मंडल के सहयोग से धार्मिक परतियोगीता सम्पन हुइ। 15 तारीख से 27 तारीख तक पूछीसूणम का जाप अराधना दोपहर को 3 बजे रहेगी । धर्म सभा मे अध्यक्ष आनंद मल छलाणी संगठन मंत्री वी गौतम चंद दुगगड समेत अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे