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रिश्ते वही-सोच नयी : साध्वी आणिमाश्री

रिश्ते वही-सोच नयी : साध्वी आणिमाश्री

तेरापंथ सभा द्वारा “परिवर्तन : परिवार प्रशिक्षण कार्यशाला” का हुआ आयोजन
 
परिवार बचपन का झूला, यौवन की क्रीड़ास्थली और बुढ़ापे की शरणस्थली होता है। परिवार वह आसमान है, जहां प्रत्येक सदस्य सेवा, सहकार तथा सहयोग की भावना से निश्चिंत होकर सोते है। उपरोक्त विचार साध्वी अणिमाश्री ने तेरापंथी सभा चेन्नई के तत्वावधान में तेरापंथ सभा भवन, साहुकारपेट में आयोजित “परिवर्तन – परिवार प्रशिक्षण कार्यशाला” में कहें।

साध्वीश्री ने रिश्ते वही सोच नई विषय पर धर्म परिषद् को संबोधित करते हुए कहा कि व्यक्ति के लिए परिवार किसी पक्षी के नीड़ के समान हैं, जहां उसकी थकावट को विश्राम  मिलता है। परिवार वह रसमयी धरती है, जहां हर बीज को फलने-फूलने का अवसर मिलता है। परिवार वह झरना है जहां आनन्द का जल बहता है। परिवार व्यक्ति के लिए त्राण, शरण, गति और प्रतिष्ठा है तथा जीवन में बहार और खुशहाली का आधार है।

पारिवारिक जीवन को आनंदमय बनाने के लिए सौहार्द, समन्वय, समझौता, समता, सेवा, सहकार व सहयोग आदि की भावना का विकास आवश्यक है। परिवार के सदस्यों में इन गुणों के वृद्धिंगत होने से खुशियों के दीप जलेंगे और शांति के फूल खिलेंगे। जीवन की पोथी में अभिलिखित अनुभवों से सीख प्राप्त कर सब अपने जीवन को खुशहाल बनाएं।
 वास्तु आधारित जानकारी देते हुए साध्वीश्री ने कहा कि झाड़ू लक्ष्मी का प्रतीक है। 

झाड़ू को घर के वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम दिशा) में किसी पात्र में सीधा खड़ा करके रखना चाहिए। झाड़ू को दीवार पर फटकारने के स्थान पर कोमलता से साफ कर रखना चाहिए। झाड़ू का बंधन ढीला हो जाये तो उसे पुनः ठीक से बांधकर तिनकों के बिखराव को रोकना चाहिए। झाड़ू से कचरा घर के भीतर से बाहर की ओर बुहारना चाहिए।
  

डॉ. साध्वी सुधाप्रभा ने कहा परिवार स्वरूप हरे-भरे वृक्ष को अविश्वाश के दीमक से खोखला होने से बचाने के लिए परिवार के सदस्य विश्वाश रूपी जल का सिंचन करते रहें। मिल-जुल कर परिश्रम के हल से सफलता के मोती निपजाएं। परिवार में उधड़े हुए रिश्तों की सिलाई यदि भावनाओं से की जाए तो परिवार अटूट रहेगा। लेकिन रिश्तों में स्वार्थ की स्थिति से परिवार का टिकना कठिन है।
 

साध्वी कर्णिकाश्री ने कहा कि परिवार के बड़े सदस्यों के प्रति छोटे सदस्यों में विनम्रता व सम्मान का भाव तथा बड़ों का छोटों के प्रति वात्सल्य भाव होना चाहिए। प्रत्येक सदस्य की ममता, समता व क्षमता जागृत होनी चाहिए। सकारात्मक चिंतन पारिवारिक जीवन में नया रंग भरने का माध्यम बन सकता है। साध्वी मैत्रीप्रभा, साध्वी समत्वयशाभी अपने विचार व्यक्त किए। सभा मंत्री गजेन्द्र खांटेड़ ने सारगर्भित प्रस्तुति देते हुए परिषद का स्वागत किया। हेमंत डूंगरवाल के साथ दिलीप मुणोत, राजेन्द्र भण्डारी, स्वरूप दाँती, मुकेश नवलखा, संतोष सेठिया ने मंगलाचरण गीत प्रस्तुत किया।

साध्वी अणिमाश्री ने सकल समस्या समाधायी जप अनुष्ठान करवाया। परिषद् ने एकाग्रता व तन्मयता से नई ऊर्जा की अनुभूति की। लगभग चार सौ भाई बहनों ने एकासन किया। तेरापंथ सभा के पूर्व अध्यक्ष विमल चिप्पड़ ने साध्वीश्री की प्रेरणा से चल रहे 13 करोड़ ऊँ भिक्षु जप अनुष्ठान के बारे में बताया।

साध्वीश्रीजी की कल्पना शक्ति से तैयार किया गया आकर्षक फोटो फ्रेम का अनावरण महासभा से श्री ज्ञानचन्द आंचलिया के साथ सभा, ट्रस्ट, तेयूप, महिला मंडल, अणुव्रत समिति के पदाधिकारियों द्वारा किया गया। सुश्री दर्शिता डूंगरवाल एवं ध्वनि डूंगरवाल और हेमलता नाहर ने विशेष श्रम से इस तस्वीर को तैयार किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन तेरापंथ सभा सहमंत्री विकास सेठिया ने किया।           

स्वरुप चन्द दाँती
प्रचार प्रसार प्रभारी
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, चेन्नई

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