चेन्नई के वेपेरी स्थित जय वाटिका मरलेचा गार्डन में विराजित जयधुरंधर मुनि ने स्वतंत्र दिवस के अवसर पर कहा देश की एकता, अखंडता एवं स्वतंत्रता अक्षुण्ण रहे। शहीदों का बलिदान व्यर्थ ना जाए इसके लिए हर देशवासी के अंदर राष्ट्रीयता की भावना पल्लवित पुष्पित और विकसित होने चाहिए।
जातिवाद , संप्रदायवाद, क्षेत्रवाद इत्यादि से ऊपर उठकर राष्ट्रहित का चिंतन होना चाहिए। राष्ट्र सुरक्षित रहने से ही धर्म सुरक्षित रह सकता है । उन्होंने गुलामी की लंबी दास्तान सुनाते हुए कहा कि कैसे विदेशी आक्रांताओं ने सैकड़ों वर्ष तक देश को लूटा अत्याचार किए गुलामी की बेड़ियों में जकड़े हुए रखा।
उन्होंने बर्बरता की अनेक घटनाओं का भी जिक्र किया। रक्षाबंधन के अवसर पर मुनि ने कहा कि धर्म ही आत्मा का सच्चा रक्षक है । हर जीव सुरक्षित रहना चाहता है तो उसके लिए दूसरों की रक्षा करनी होगी । रक्षाबंधन का यहां पर सामाजिक एवं राष्ट्रीय पर्व ही नहीं अपितु आध्यात्मिक पर्व भी है ।
रक्षा सूत्र स्नेह एवं कर्तव्य का सूत्र है, जिसके द्वारा भाई को बहन के प्रति रक्षा के कर्तव्य निर्वाह हेतु संकल्प लिया जाता है । बहन द्वारा बांधी गई राखी कुछ समय बाद नहीं रहेगी परंतु आज का पर्व एक प्रतीक निशानी स्मृति के रूप में हमेशा से भाई – बहन के प्रति प्रेम की भावनाओं का केंद्र रहा है।“““`
इतिहास गवाह है कि किसी प्रकार रानी कर्मावती द्वारा भेजी गई राखी से प्रबल शत्रु भी मित्र बन गया। यह पर्व अन्याय, अनीति, अधर्म से रक्षा करने हेतु प्रेरित करता है । वर्तमान में महिलाओं पर हो रहे अन्याय अत्याचार शोषण को रोकने के लिए रक्षाबंधन के संदेश को पूरे देश में पहुंचाना ही समय की मांग है।
हर पुरुष यदि सभी महिलाओं को अपनी बहन के समान समझा ले तो नारी पर होने वाले अत्याचार समाप्त हो सकते हैं। इससे पूर्व श्री जयपुरंदर ने जैन धर्म के अनुसार रक्षाबंधन के इतिहास से जुड़े अनेक घटनाओं का विस्तृत वर्णन किया।
इस अवसर पर समणी प्रमुखा श्रीनिधि एवं सुधननिधि द्वारा भाई- बहन सजोड़े रक्षा कवच जाप करवाया गया , जिसमें 200 भाई -बहनों ने भाग लिया। जाप के पश्चात बहनों ने जाप से अभिमंत्रित रक्षा सूत्र अपने भाइयों के कलाइयों में बांधी जो एक अनूठा अत्यंत आकर्षक रोचक एवं दर्शनीय कार्यक्रम रहा ।
जयमल जैन चातुर्मास समिति के प्रचार प्रसार चेयरमैन ज्ञानचंद कोठारी ने बताया राकेश बोहरा और राखी कतरेला ने 31 उपवास के प्रत्याख्यान ग्रहण किए। मासखमण तपस्यों का संघ की ओर से प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह द्वारा सम्मान किया गया। शुक्रवार को हरे वर्ण एकासन में 130 महिलाओं ने तपस्या की।