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राष्ट्रसंत पूज्य गुरुदेव डॉ वसंतविजयजी म.सा. की निश्रा में सामूहिक प्रतिक्रमण में परस्पर की क्षमा याचना

राष्ट्रसंत पूज्य गुरुदेव डॉ वसंतविजयजी म.सा. की निश्रा में सामूहिक प्रतिक्रमण में परस्पर की क्षमा याचना

 गुंजायमान हुआ मिच्छामि दुक्कड़म 

कृष्णगिरी तीर्थ धाम में विभिन्न राज्यों के जैन–अजैन श्रद्धालुओं की पर्युषण महापर्व संवत्सरी पर वंदना–क्षमापना 

शक्तिपीठाधीपति बोले, अभय दयानम अर्थात डरना व डराना अपराध है..

कृष्णगिरी। विश्वविख्यात शक्तिमय पावन श्री पार्श्वपद्मावती शक्तिपीठ तीर्थधाम कृष्णगिरी के शक्तिपीठाधीपति, राष्ट्रसंत, सर्वधर्म दिवाकर परम पूज्य गुरुदेवश्रीजी डॉ वसंतविजयजी महाराज साहेब के पावन सान्निध्य में आठ दिवसीय पर्युषण महापर्व के समापन (संवत्सरी) पर प्रतिक्रमण कार्यक्रम में सामूहिक क्षमा याचना वंदन हुआ। इस दौरान पूज्य गुरुदेवजी सहित सभी ने परस्पर मिच्छामि दुक्कड़म के उद्घोष के साथ जाने अनजाने किसी भी प्रकार की भूल अथवा विभिन्न प्रकार के रागद्वेष, ईर्ष्या, क्रोध इत्यादि के लिए क्षमा याचना की। देश के विभिन्न राज्यों से शामिल हुए जैन–अजैन श्रद्धालुओं ने जैन विधि अनुसार प्रतिक्रमण किया।

इस अवसर पर अपने अमृतमयी प्रवचन संबोधन में पूज्यश्री डॉक्टर वसंतविजयजी म.सा. ने क्षमा करने, प्रेम बढ़ाने, दया व त्याग रखने एवं समर्पण के भाव परस्पर बढ़ाने की प्रेरणादाई सीख दी। उन्होंने पर्युषण के 8 दिनों को ही महत्वपूर्ण नहीं मानने की बात के साथ कहा कि दिनों का नहीं क्षमापना की क्रिया का महत्व है। उन्होंने कहा कि पर्युषण के 8 दिन नहीं, इनके सिद्धांत व गुणों को जीवन में अपनाएं अर्थात् क्षमाभाव को गुणों में लाएं। आध्यात्मयोगी संतश्री डॉ वसंतविजयजी म.सा. ने प्रसंगवश मय उदाहरण के कहा कि असीमित ब्रह्मांड में व्यक्ति के शरीर में असीमित ही शक्ति है, इसकी समझ होनी आवश्यक है। धर्म, भक्ति व मेहनत सभी इसी असीमित शक्ति में समाहित है। उन्होंने शास्त्रोक्त परमात्मवाणी “…अभय दयानम” की व्याख्या करते हुए कहा कि व्यक्ति का डरना अपराध है तथा डराना भी अपराध है। मन, भावना एवं शब्द को कंट्रोल में रखकर वर्तमान में रहते हुए जीवनानंद लेना चाहिए। पूज्य गुरुदेवजी ने बताया कि प्रतिशोध लेना व प्रतिशोध का शिकार होना 84 प्रकार की विभिन्न योनियों में अनन्त जन्म और मरण का हिस्सा है, ऐसे में पूर्णतया निर्मल, पवित्र, मंगलकारी, निग्रंथ, निर्मल, शांत, शुद्ध, मुक्त व निर्भय होकर बगैर भेदभाव के ज्ञान, समृद्धि, सुख की प्राप्ति हेतु हृदयंगामी भाव से “मुझे क्षमा करो–मैं क्षमा करूं..” वाचन के साथ बंधन मुक्त होने की क्षमापना कराई।

इस मौके पर परमात्मा के नाम कल्याणकारी सामूहिक प्रार्थना भी कराते हुए पूज्यश्री डॉ वसंतविजयजी म.सा. ने कहा कि “हे ईश्वर आप हमें ऐसा जीवन दें जिससे आप हमसे सदैव प्रसन्न रहें, ऐसा जीवन दें जिससे प्रभु आपको व इस धरा, प्रकृति को हमसे आनंद आए। उन्होंने प्रार्थना कराई कि, हे ईश्वर आपकी दया, कृपा से इस धरा पर कोई जीव भूखा न रहे, अभाव व दरिद्रता मुक्त होकर हर व्यक्ति सक्षम बनें, निरोग हो, समस्त ब्रह्मांड में हजारों वर्ष पूर्व की भांति दया, करुणा की शास्वत तरंगे इस धरती को श्रेष्ठ पथ पर अग्रसर करें। उपस्थित सभी गुरुभक्त श्रद्धालुओं को पूज्य गुरुदेवजी ने प्रभावना व प्रसाद वितरण के साथ दिव्य आशीर्वाद प्रदान किया। कार्यक्रम के समापन से पूर्व डॉ संकेश छाजेड़ ने बताया कि पूज्य गुरुदेवश्रीजी की निश्रा में कृष्णगिरी तीर्थधाम में आगामी 26 सितंबर से 5 अक्टूबर तक श्रीनवरात्रि महापर्व का विश्वस्तरीय ऐतिहासिक आयोजन होगा। उन्होंने बताया कि इस बाबत तीर्थ धाम में नौ देवियों को विराजित करने हेतु अतिदिव्य राज महल का निर्माण किया जा रहा है। इस दौरान अंतरराष्ट्रीय स्तर के नामी भजन गायक कलाकार यहां शिरकत कर मां की संगीतमय भक्ति वंदना करेंगे।

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