कोलकाता. संगीतकला मंदिर में रोजाना शाम 06 से o7 तक चलने वाले प्रवचन के तीसरे दिन रामकिंकर विचार मिशन के अध्यक्ष संत मैथिलीशरण ने प्रवचन में कहा कि रामायण में सोई शब्द तत् पदार्थ की ओर इशारा करता है।
उन्होंने कहा कि मनु पत्नी सतरुपा ने भगवान से 6 वस्तुएं मांगी थी और गोस्वामी तुलसीदास ने इन सभी ६ के साथ सोई शब्द लगाया है। तुलसीदास ने लिखा है कि……..सोई सुख. सोई गति. सोई भगति. सोई निज चरण सनेह.।
सोई विवेक. सोई रहनि. प्रभु हमहिं कृपा करि देहु.।। उन्होंने कहा कि ये सोई शब्द पुनुरुक्ति दोष नहीं है। सतरुपा इन सब वस्तुओं को भगवान से जोडक़र अखण्ड रूप में मांग रही हैं। सतरुपा ने कहा कि आपके जो बिल्कुल निज भक्त हैं, उनको जैसा सुख-गति-भक्ति, प्रेम और विवेक आप देते हैं वही हमें दीजिए।
निज भक्त की व्याख्या करते हुए मैथिलीशरण ने कहा कि जिन पर आप अपना अधिकार मानते हैं और जिनका आश्रय आप हैं और आपके आश्रय जो आपके भक्त हैं।
जब तक ईश्वर, गुरु, भजन, जप, अनुष्ठान को हम साधन मानते रहेंगे तब तक साध्य केवल संसार होगा। जब भगवान संसार में जन्म लेते हैं पुत्र, भाई बन और मित्र बन जाते हैं। त्वम् तत् से एकाकार हो जाता है।