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राजराजेश्वरी देवी मां पद्मावती कलयुग की कल्पतरु : डॉ वसंतविजयजी म.सा.

राजराजेश्वरी देवी मां पद्मावती कलयुग की कल्पतरु : डॉ वसंतविजयजी म.सा.

कृष्णगिरी। श्री पार्श्व पद्मावती शक्तिपीठ तीर्थ धाम कृष्णगिरी में श्रावण मास विशेष 29 दिवसीय भक्ति आराधना एवं यज्ञ महोत्सव के नौवें दिन यज्ञ कर्म को आत्मा को श्रेष्ठ कर्म करने वाला बताते हुए यागविधान, आहुति, भैरव–भैरवी मुद्रा सहित श्रीमद् देवी भागवत कथा के विभिन्न प्रसंगों का उल्लेख हुआ। शक्तिपीठाधिपति, राष्ट्रसंत, सर्वधर्म दिवाकर परम पूज्य गुरुदेवश्रीजी डॉ वसंत विजय जी महाराज साहब ने शनिवार को पांच प्रकार के प्राण वायु एवं आहुति विधान की व्याख्या की। उन्होंने मन के पापों की आहुतियां देकर निवृत्त होने की सीख देते हुए कहा कि यज्ञ में विनय, विवेक के साथ श्रद्धा व उपादान भी जरूरी है। भगवान नारायण ने भी देवी मां पद्मावती का यज्ञ किया था। इस दौरान पूज्य गुरुदेव ने कहा कि किसी मंदिर, तीर्थ क्षेत्र आदि में परमात्मा की प्रतिमा अथवा गुरु के समक्ष आंखें मूंद कर नहीं रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब देवी–देवता या गुरु समक्ष ही हो तो उनके समक्ष खुली आंखों से वंदन प्रार्थना करनी चाहिए। वर्तमान दौर में देखादेखी के एक प्रसंग पर प्रकाश डालते हुए संतश्रीजी ने कहा कि व्यक्ति की कोई भी क्रिया कारण को समझकर ही होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि संतों की सेवा भक्ति में यदि संत प्रसन्न हो गए तो स्वयं परमात्मा प्रसन्न होकर सुख ऐश्वर्य की वर्षा कर देते हैं। आध्यात्म योगी पूज्य गुरुदेव बोले कि किसी भी श्रद्धावान व्यक्ति के जीवन में परमात्मा से पहले गुरु की आवाज अथवा वाणी रूप में आती है। जैन धर्म की विशेषता बताते हुए सर्वधर्म दिवाकर पूज्य गुरुदेव ने कहा कि जैन धर्म वैज्ञानिक धर्म है, जो कि किसी भी कार्य को शुरू करते ही पूरा हो गया इस भाव को मानते हैं। यहां हर चीज का एंडिंग पॉइंट देखा जाता है, यही वजह है कि जैन धर्मावलंबी दुनिया भर में सर्वश्रेष्ठ एवं सबसे आगे रहते हैं। प्रसंगवश संतश्रीजी ने यह भी कहा कि आज कोई भी महिला हो या पुरुष दिनभर में बातचीत में अनेक झूठ बोलते हैं। झूठ झूठ ही होता है। व्यक्ति हर कला में अपने पारिवारिक गुणों से आगे बढ़ता है। गुरुदेव ने शपथ के साथ सत्य बोलने का संस्कार ग्रहण करने की प्रेरणादाई सीख देते हुए कहा कि कोई भी एक छोटा सा अच्छा नियम हमारे जीवन का कल्याण कर सकता है। ज्ञानी अपना ही नहीं पराए का ही दर्द महसूस करते हैं, ऐसे ज्ञान वाले ही ज्ञानी महापुरुष कहलाते हैं।

राजराजेश्वरी जगतजननी देवी मां पद्मावती को कलयुग की कल्पतरु बताते हुए डॉ वसंत विजय जी महाराज साहेब ने कहा कि कल्पतरु की साधना–आराधना हमारा कल्याण करेगी। कार्यक्रम में संगीतकार रामलाल घाणेराव, महेंद्र कुमार, विनोद आचार्य व दिनेश शर्मा आदि ने भक्तिमय प्रस्तुतियों के साथ संचालन किया। पूज्य गुरुदेव श्रीजी द्वारा वाचित देवी भागवत कथा पश्चात चिदंबरम के 11 पंडितों द्वारा हवन यज्ञ में आहुतियां दी गई।कार्यक्रम का सीधा प्रसारण यूट्यूब चैनल थॉट योगा पर लाइव प्रसारित किया जा रहा है।

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