चेन्नई मैलापुर जैन स्थानक में प्रवचन करते हुए साध्वी श्री डॉक्टर मंगलप्रज्ञाजी ने कहा जीवन में संगति का बड़ा महत्व होता है। व्यक्ति किस की संगति करें, इसका विवेक होना चाहिए। भगवान महावीर ने कहा है अपने से अधिक गुण संपन्न व्यक्ति की संगत करो, वैसा ना हो तो समान गुणों वाले व्यक्तियों के साथ संसर्ग करो, वैसा भी संभव ना हो तो अकेले यानी एकांत साधना करो, पर गलत या अहितेषी की संगत कभी मत करो। दुर्लभता से प्राप्त मानव जीवन का सदुपयोग करो। साध्वी श्री ने कहा अभिभावकगण अपनी भावी पीढ़ी को प्रारंभ से ही संस्कारित करें। सौभाग्य से हमें वीतराग दर्शन प्राप्त है। भैक्षवशासन और वर्तमान में करुणा सागर आचार्य श्री महाश्रमणजी तिन्नाणं तारयाणं का विशिष्ट लक्ष्य लेकर प्रलम्ब यात्रा कर रहे हैं। श्रावक समाज जागरूकता के साथ अध्यात्म की दिशा में प्रस्थान करता रहे। सभी जैनाचार्य एवं संत समुदाय धर्मोपदेश के द्वारा जीवन रूपांतरण की प्रेरणा देते हैं।
विशेष प्रेरणा देते हुए साध्वीश्री ने कहा जो व्यक्ति अवसर का फायदा नहीं उठाता, वह जीवन-पथ से भटक जाता है। आवश्यकता है हर व्यक्ति राइट माइंड के साथ रहना और जीना सीखें। जीवन सदाबहार बन जाएगा। हम देख रहे हैं, आज जानवरों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। ज्यादा जरूरत है, मानव प्रशिक्षण की। संकल्पों से साथ जीवन परिवर्तन की।
साध्वी डॉ चैतन्यप्रभाजी ने आर्ष वाणी का रसपान करवाया एवं ध्यान के प्रयोग करवाए। साध्वी डॉ राजुलप्रभाजी ने कहा अध्यात्म की शरण ही सच्ची शरण है। आत्म मलिनता को दूर करने की साधना करते हुए सभी जीवन का उत्कर्ष करें, यही हमारी हार्दिक भावना है। पूरा चेन्नई श्रावक समाज साध्वीश्रीजी की प्रेरणा से अपना योगक्षेम करे और विकास करे। प्रबुद्ध सानिध्य का यथासंभव लाभ उठाए। साध्वीश्रीजी मैलापुर से विहार करके गुरुवार को होली चातुर्मास के अवसर पर ट्रिप्लीकेन तेरापंथ सभा भवन पधारेंगे।
स्वरुप चन्द दाँती
प्रचार प्रसार प्रभारी
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, चेन्नई
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श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, चेन्नई