साध्वीजी आगम श्री म:स ने बताया धन दौलत पुत्र परिवार छोड़ना बहुत सरल है पर रसना को जीतना बड़ा ही कठिन है! इसके कारण अच्छे अच्छे तपस्वियों का पतन हो गया ! जो तत्काल प्रवेश बनाता है वो टैप है! आत्मा के शत्रुओं को तपता है!
इस के प्रभाव से अनेक लब्धियों को प्राप्त कर सकते है! वानर वृत्ति से की गई साधनाओं चंचल होती है! पक्षी की वृत्ति से की गई साधना स्थूल होती है!पिपीलिका की वृत्ति से की गई साधना ढेर गंभीर होती है! निरंतर चलने वाली चिटिया अपने सरलत से सस्तातय कर लेती है! जाने लक्स्य को पाना है!
साध्वी धैर्याश्री दुनिया के लिए आप बेहद अच्छे हो जब तक आप की अपेक्षा पूर्ण करते रहो तब तक हम सूर्योदय है जब तक रात्रि है! द्रव्य की आँख खुलती है! अब हमे अंतर के चढ़ी खोलना !
अजयजी बोथरा,आराधना जी गाड़िया,प्रीति जी सकलेचा, कविता जी रांका इनके 11-11 की तपस्या चल रही है ! सी अशोकजी बांटिया ने संचालन किया ! dr भिकमचंद जी सक्लेच ने सतकार कियाl