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रत्नवंश के द्वितीय आचार्य श्री रत्नचंद्रजी म.सा की जन्मजयन्ति व दीक्षा आराधना दिवस के रुप में मनाई गई

रत्नवंश के द्वितीय आचार्य श्री रत्नचंद्रजी म.सा की जन्मजयन्ति व दीक्षा आराधना दिवस के रुप में मनाई गई

चेन्नई :- क्रियोद्वारक परम तेजस्वी कीर्ति निष्पृही बाल ब्रह्मचारी आचार्यश्री रत्नचंद्रजी म.सा की जन्मजयन्ति तप-त्याग पूर्वक गुणगान करते हुए आराधना दिवस के रुप मे श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ,तमिलनाडु के तत्वावधान मे स्वाध्याय भवन बेसिन वाटर वर्क्स स्ट्रीट, साहूकारपेट चेन्नई में स्थित स्वाध्याय भवन में मनाई गयी |

वरिष्ठ स्वाध्यायी विनोदजी जैन ने जैन धर्म के मौलिक इतिहास में वर्णित आचार्य मलयगिरि के 196600 से अधिक श्लोकों की रचना व आचार्य अभयदेव के अजमेर शहर में 41 दिवसीय संथारे व चरित्रमय जीवन का उल्लेख किया |

श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ, तमिलनाडु के निवर्तमान कार्याध्यक्ष आर नरेन्द्रजी कांकरिया ने कहा कि राजस्थान के कुड़ ग्राम मे पिता लालचन्द्रजी व माता हीरादेवीजी के यहां जन्मे बालक रत्नचंद्र की जन्म तिथि व दीक्षा तिथि एक ही तिथि रही हैं | गुणगाण करते हुए नागौर मे बाल्यकाल,दृढ़ वैराग्य,रत्नवंश के प्रथम आचार्य गुमानचन्द्रजी म.सा के सानिध्य व चरित्रमय जीवन का परिचय व पद के प्रति निष्पृहता भाव का वर्णन किया व कहा कि पूज्य रत्नचंद्रजु म.सा ने गुरुदेव आचार्य गुमानचन्द्रजी म.सा के देवलोकगमन होने के पश्चात संघ द्वारा योग्यता के आधार पर उन्हें आचार्य बनाने का निर्णय लेने के बावजूद भी पद लेने से मना करते हुए कहा कि स्थविर श्री दुर्गादासजी म.सा दीक्षा व वय से स्थविर हैं उन्हें ही आचार्य पद पर सुशोभित किया जाना उचित हैंl

अतः मैं पद स्वीकार नही करुंगा,बिना पद के भी निष्पृहता पूर्वक संघ का संचालन करते हुए वे चौवीस वर्षो तक दुर्गादासजी म.सा को पूज्यश्री कह कर पुकारते तो दुर्गादासजी म.सा उन्हें पूज्यश्री कह कर पुकारते | चौवीस वर्षो तक आचार्य पद अनियत रुप मे ही रहा | इस आदर्शमय संस्मरण से राम व भरत जिस तरह राज्य लक्ष्मी को एक दूसरे को अर्पण करने वाले इतिहास की स्मृति मन मस्तिष्क पर छा जाती हैं | स्थविर पूज्यश्री दुर्गादासजी म.सा के देवलोकगमन होने के पश्चात ही आचार्य पद स्वीकार किया |

उनका चरित्रमय जीवन प्रेरणास्त्रोत रुप हैं,मात्र चौदह वर्ष की बालवय मे मण्डोर,जोधपुर में दीक्षित हुए, जोधपुर मे 48 वर्ष की वय मे रत्नवंश के द्वितीय आचार्य पद पर आरुढ़ हुए,आचार्य पर्याय बीस वर्षो का रहा,68 वर्ष की वय मे जोधपुर मे संलेखना संथारा पूर्वक देवलोकगमन हुआ |

स्वाध्यायी श्री इंदरचंदजी कर्णावट ने तीन मनोरथ कराया | जैन संकल्प श्रावक संघ के कोषाध्यक्ष श्री अम्बालालजी कर्णावट ने कराया |

धर्म सभा मे रुपराजजी सेठिया, बाबुधनपतराजजी सुराणा, गौतमचन्द जी मुणोत,पदमचन्दजी दीपकजी व योगेशजी श्रीश्रीमाल, उच्छबराजजी गांग लीलमचन्दजी नवरतनमलजी बागमार नवरतनमलजी कमलजी चोरडिया वीरेन्द्रजी ओस्तवाल, महावीरचन्दजी कर्णावट की सामायिक परिवेश मे उपस्थिति रही | इस प्रसंग पर उपवास आदि तपस्याओं के प्रत्याख्यान हुए | मांगलिक एकान्तर तपस्वी साधक नवरतनमलजी बागमार ने सुनाई |

 तीर्थंकर भगवन्तो,आचार्य भगवन्तों उपाध्याय भगवन्त,भावी आचार्यश्री, साध्वी प्रमुखा,चरित्र आत्माओं की जयजयकार के साथ आचार्य पूज्यश्री रत्नचंद्रजी म.सा की जन्मजयन्ति व दीक्षा दिवस सम्पन्न हुआ |

# प्रेषक :- स्वाध्याय भवन तमिलनाडु 24/25 बेसिन वाटर वर्क्स स्ट्रीट,साहूकारपेट चेन्नई तमिलनाडु

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