राजस्थानी एसोसिएशन तमिलनाडु द्वारा राजस्थान से जुड़ी सेवार्थ कार्यरत सभी सामाजिक संस्थाओ के पदाधिकारियों की एक सभा का अयोजन DG वैष्णव कॉलेज के प्रागंण में दिनांक 1 मई, सोमवार को रखा गया। सर्वप्रथम अध्यक्ष मोहनलाल बजाज, चयनित अध्यक्ष प्रवीण टाटिया एवं अन्य पदाधिकारीयों द्वारा दीप प्रज्जविलत किया गया।
अध्यक्ष मोहनलाल बजाज ने सभी का स्वागत किया। महासचिव देवराज आच्छा ने रजत की गतिविधियों पर प्रकाश डाला। को चेयरमैन निर्मल नाहटा ने कार्यक्रम की रुपरेखा देते हुए बताया कि हम राजस्थानी, पिछली शताब्दी से तमिलनाडु में रह रहे हैं! यह अब अपना घर निवास बन गया है!
स्वास्थ्य, शिक्षा के क्षेत्र में समाज और यहाँ के प्रवासी की सेवा कर रहे हैं, और यहां तक कि प्राकृतिक आपदाओं के दौरान राहत गतिविधियों में भी शामिल हैं। हमारे दान के हाथ पशु संरक्षण और कल्याण के लिए भी हैं। विभिन्न राजस्थानी संघों और ट्रस्टों द्वारा सेवा की यह गाथा बिना किसी शोर-शराबे के पूरे राज्य में जारी है। हालांकि, जागरूकता की कमी के कारण इस तरह की कल्याणकारी गतिविधियों पर काफी हद तक ध्यान नहीं दिया गया है।
भले ही प्रचार वह नहीं है जो हम चाहते हैं, फिर भी हमें लगता है कि एक सूचित जनता हमारी आउटरीच गतिविधियों के लिए उत्प्रेरक होगी और मीडिया और सरकार का ध्यान आकर्षित करेगी।
प्रवीण टाटिया ने कहा कि हम सब अपने-अपने क्षेत्रों में अच्छे से अच्छा सेवा कार्य कर रहे हैं, लेकिन हमें जो प्रोत्साहन सरकार से, समाचार पत्रों से या स्थानीय नागरिकों से मिलना चाहिए वह कहीं से नहीं मिलता है।
इसका एक ही कारण है कि हम जो भी कार्य कर रहे हैं, आपस में मिलजुल कर नहीं अथवा बँट बँट कर कर रहे है। यह सत्य है कि हमारी पहली प्राथमिकता सेवा है और सेवा का कोई मोल नहीं होता है लेकिन यह भी जरूरी होता है कि आप जो कार्य कर रहे हो उसकी पहचान या उसकी जानकारी आप जहाँ पर कार्यरत हैं, वहाँ जरूर पहुंचे।
सह सचिव अजय नाहर ने उपस्थित 50 से भी अधिक संस्थाओं के सेवा कार्यों के बारे में जानकारी दी । पुर्वाध्यक्ष चन्द्रप्रकाश मालपानी, सुगालचंद सिंघवी, सुभाषचन्द रांका, शांतिलाल जैन, कांतिलाल सिंघवी, गौतमचंद बोहरा ने पधारें हुए सभी संस्थाओं के पदाधिकारीयों का अंगवस्त्र द्वारा अभिनंदन किया। अनेक संस्थाओं के पदाधिकारीयों ने अपने अपने सुझाव दिए।
सह सचिव ज्ञानचंद कोठारी ने सभी को धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में शांतिलाल कांकरिया, इन्द्रचन्द छाजेड, महेंद्र कुंकुलोल, माणकचन्द श्रीश्रीमाल, जयप्रकाश मालपानी, सुशील जवार आदि का सहयोग सराहनीय रहा।