साहुकारपेट जैन भवन में विराजित उपप्रवर्तक विनयमुनि ने रक्षाबंधन के अवसर पर कहा रक्षाबंधन प्रेम का प्रतीक है, जिसका अपना अलग ही महत्व है। इस पर्व से भाई बहनों में एक उत्साह सी होती है। इस दिन खुद में बदलाव लाने का प्रयास करना चाहिए। ऐसा करने से इस पर्व का महत्व और भी बढ़ जाएगा।
छगनलाल की 130वीं जन्म जयंती पर मुनि ने कहा सदगुरुओं ने अपने ज्ञान से ही लोगों की अज्ञानता को दूर किया है। इस प्रकार से हम पर उन महापुरुषों का बहुत ही बड़ा उपकार है और उनके इस उपकार को कभी नहीं भूलना चाहिए। उनके द्वारा बताए गए मार्ग का अनुसरण कर ज्ञान के महत्व को समझ कर अज्ञानता से दूर होना चाहिए।
सागरमुनि ने कहा जगत के सभी जीवों की रक्षा के लिए रक्षाबंधन को बहन अपनी रक्षा के लिए भाई के कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती है। इस सूत्र को हाथों तक नहीं बल्कि आत्मा में लाकर चारित्र करना चाहिए। मनुष्य के जीवन में पर्व उन्हें ऊचा उठाने के लिए होते है। लेकिन यह चारित्र करने से ही संभव हो पाता है।
ऊचाइयों पर वही जाता है जो मन से संयम और चारित्र करता है। पर्व तो आते रहते हैं लेकिन जीवन में परिवर्तन आया है या नहीं इस बात पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। गौतममुनि ने रक्षा बंधन की विशेषता पर प्रकाश डाला। इससे पहले विनयमुनि के सानिध्य में बहनों ने अपने भाई की कलाई पर राखी बांधी। संघ की ओर से लकी ड्रा निकाल कर 11 बहनों को चांदी और पांच बहनों को सोने की राखि प्रदान की गई।
इसके साथ ही 12 साल के कम उम्र के बच्चों के लिए फैंसी ड्रेस का आयोजन हुआ और विजेताओं को पुरस्कार दिया गया। राखी बांधने के बाद भाइयों ने अपनी बहनों को गिफ्त देने के बजाय जीव दया के क्षेत्र में दान किया। इस मौके पर संघ अध्यक्ष आनंमल छल्लाणी, निर्मल मरलेचा, नरेन्द्र कोठारी, सहमंत्री पंकज कोठारी, गौतमचंद दुगड़ व अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे। मंत्री मंगलचंद खारीवाल ने संचालन किया।