कांकरिया भवन किलपाक में साध्वी श्री मुदितप्रभाजी म.सा ने आज के प्रवचन में कहा कि जिस परिवार, संघ समाज मे बड़ो का सन्मान होता हैं, उन परिवारों, संघो में और समाज मे शांति बनी रहती हैं । वे परिवार समाज के लिए और ऐसे संघ अन्य संघो के लिए आदर्श रुप बन जाये हैं ।
जहां युवाओं व बुजुर्गों में प्रेम व स्नेह बना रहता हैं, वहां चहुमुंखी विकास होता हैं । युवा वर्ग में अनंत शक्ति हैं, पर आवश्यकता हेंनउस शक्ति का सही रुप व दिशा मे उपयोग करने की, अन्यथा जोश में शक्ति के दुरुपयोग से संघ समाज मे बिखराव व विघटन का विकराल रुप भी धारण कर सकता हैं । संघ समाज में कार्यकर्ताओं के बीच विचारों में मतभेद हो सकते हैं पर मतभेद बढ़ कर मनभेद का विकराल रुप ना ले, इसमे हमारे अन्दर हमारे विचारों में चिन्तन में पूर्ण सजगता रहनी अति आवश्यक हैं ।
युवा वर्ग बुजुर्गों का बड़ो का सन्मान करे । प्रभु महावीर के समय भी उनके व केशीकुमार श्रमण के विचारों में अन्तर था, प्रभु पांच महाव्रतों को तो केशीकुमार चार महाव्रतों को ही आवश्यक समझते थे । प्रभु राजा के यहां से आहार को लेना सही नहीं मानते तो केशीकुमार राजा के यहां से आहार लेने को सही मानते थे । वर्षाकाल मे प्रभु चार माह एक स्थान में ही रुकने को सही समझते थे तो केशीकुमार चार माह में एक स्थान में रुकने को आवश्यक नही समझते थे ।
विचारों में रात दिन का अन्तर रहते हुए भी आपसी मनभेद नहीं था । प्रभु महावीर का सिध्दांत अनेकान्तवाद और स्यादवाद का हैं । जब तक हम सामने वाले के प्रति स्वीकार भाव नहीं रखते तब तक हमारे अन्दर अहंकार भाव प्रवेश करता हैं । जब तक परिवार के सदस्यों के साथ व संघ समाज के सदस्यों में आपस में शर्त भाव हैं तब तक परिवार में संघ समाज में अशांति कषाय व क्लेश रहता हैं।
बिना शर्तों के संबंध में हमारी सहन शक्ति बढ़ती हैं और सशर्त जहाँ संबंध रहते हैं वहाँ सहनशीलता घटती हैं । परिवार में सशर्त संबंध हमें दुःखी करते हैं । अगर हम प्रभु महावीर के अनेकान्तवाद व स्यादवाद के सिध्दांतो के साथ जीवन मे व्यवहार करेंगे तो हम सुख शांति महसूस कर सकेंगे व सुखी जीवन जी सकेंगे । आगमों में अनेक उदाहरण हैं जहाँ अनशन से भी अधिक वैयावच्छ अर्थात सेवा करने वालो ने कम समय मे अधिक मात्रा में कर्मो की निर्जरा की हैं ।
तपस्वी भाई बहनों के दीर्घ तप की अनुमोदना हैं । जो भाई बहन बाहीय तप नहीं कर सकते उनके लिए तप के 12 भेदों का उल्लेख करते हुए स्वाध्याय, विनय सेवा आदि आभ्यान्तर तप करने की प्रेरणा की । श्रावक संघ के प्रचार प्रसार सचिव आर नरेन्द्र कांकरिया ने बताया कि इस अवसर पर सुभाषचंदजी खंटेड ने 37 वें मासक्षमण व राजेश बोहरा, राजकवर बोहरा, सज्जनबाई झामड मंजू कवाड़ कोमल खींवसरा अनिता चौधरी ने मासक्षमण के प्रत्याख्यान किये ।
साध्वी श्री इंदुबालाजी म.सा ने श्रमण सूर्य श्री मिश्रीमलजी म.सा के जन्मजयंती के अवसर पर उनके जीवन के अनेक दृष्टांत रखते हुए उन्हें मानवता का मसीहा बताया । इस मासक्षमण तपस्या महोत्सव व जन्मजयंती कार्यक्रम पर चेन्नई महानगर के विभिन्न क्षेत्रों से सेकंडों की संख्या में श्रदालु भक्त उपस्थित थे । साध्वी श्री इंदुबालाजी म.सा ने मांगलिक दी ।# प्रेषक : आर नरेन्द्र कांकरिया, प्रचार प्रसार सचिव श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ, तमिलनाडु ।