Share This Post

Featured News / Featured Slider / ज्ञान वाणी

युग पुरुष आचार्य आत्म-शुक्ल-शिव अमर गुरुदेव: आचार्य विमल सागर

युग पुरुष आचार्य आत्म-शुक्ल-शिव अमर गुरुदेव: आचार्य विमल सागर

विश्वशांति जप महोत्सव अनुष्ठान

चेन्नई. गुरु पद्म- अमर कुल भूषण उप प्रवर्तक पंकज मुनि की मंगलमयी शुभ निश्रा एवं ओजस्वी प्रवचनकार डॉ. वरुण मुनि की सद्प्रेरणा से गुरु आत्म- शुक्ल-शिव-अमर जयंति महोत्सव व विश्व शांति जप समारोह श्री एस. एस. जैन संघ, साहुकारपेट के तत्वावधान में भव्याति भव्य रूप से जैन भवन के प्रांगण में आयोजित किया गया।

क्रांतिकारी आचार्य प्रवर विमल सागर सूरीश्वर ने कहा गुरु तत्व की महिमा को समझने का प्रयास करें। आचार्य सम्राट आत्माराम जी म., पंजाब प्रवर्तक शुक्ल चन्द्र म., आचार्य सम्राट शिव मुनि जी म. श्रुताचार्य प्रवर्तक अमर मुनि इस सदी के युग पुरुष संत महा पुरुष हुए हैं। अपनी श्रद्धा को अरिहंत परमात्मा, गुरु तत्व, धर्म तत्व के प्रति दृढ़ करें। उनके सद् विचारों, सद्गुणों और सिद्धांतों को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करें। तभी उनकी जयंति मनाना सार्थक होगा। रुपेश मुनि ने विश्व शांति जप बड़े ही भक्ति भाव से करवाया।

समारोह के अध्यक्ष नवीन भिडक़चा, ध्वजारोहण कर्ता नरपत बेताला, लक्की ड्रॉ के लाभार्थी अध्यक्ष संपतराज सिंघवी आदि गणमान्य व्यक्तियों का सम्मान गजराज भिडक़चा के द्वारा शॉल, माला एवं सम्मान प्रतीक भेंट कर किया गया। युवा रत्न मनोज जैन के कर कमलों द्वारा सचित्र श्री कल्पसूत्र (जैन आगम ग्रंथ) का, निलेश श्रीश्रीमाल द्वारा आलोयणा पाठ पुस्तक का एवं समाज सेवी मदन लोढ़ा द्वारा पूज्य पद्म- अमर- नवकार चित्र का लोकार्पण किया गया। युवा रत्न लोकेश छल्लाणी ने 21 उपवास एवं तपस्वी मनोज भाई ने 14 उपवास की भेंट गुरु चरणों में समर्पित की। सर्वप्रथम विश्व शांति जाप का आयोजन हुआ जिसमें हजारों की संख्या में दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश सहित चेन्नई, बेंगलूरु, कोयंबत्तूर, ऊटी, मदुरै आदि स्थानों से पधारे गुरू भक्तों ने बड़ी श्रद्धा के साथ विश्व शांति की कामना से सामूहिक सस्वर बीजमंत्रों का जाप किया। वह मनोहारी दृश्य वास्तव में अद्भुत था, जब मंत्र ऊर्जा की तरंगों ने पूरे प्रवचन सभागार को ही ऊर्जामय बना दिया।

मुनिराज तीर्थ वल्लभ ने जैन संतों के तप – त्याग व साधनामयी जीवनचर्या पर प्रकाश डालते हुए चारों ही गुरु भगवंतों को अपने श्रद्धा पुष्प भेंट किए। धर्म प्रभाविका मंगलप्रज्ञा म. ने कहा कि जिस जीवन में श्रद्धा, पराक्रम और दृढ़ संकल्प होता है, वह जीवन में सफलता प्राप्त करता है। शासन सूर्या धर्मप्रभा जी म.ने कहा आत्मा जब शुक्ल ध्यान की साधना करती है तो अमर पद यानी शिव पद को प्राप्त कर लेती है। साध्वी मोक्षरसा ने बताया 5 इंद्रियों व मन को वश में जब कोई साधक कर लेता है तो वह इन चार गुरु भगवंतों की भांति जन जन का आदरणीय पूजनीय और वंदनीय बन जाता है।

डा.वरुण मुनि ने कहा आचार्य आत्म भगवन से ज्ञान की, आचार्य शिव भगवन से ध्यान की प्रवर्तक शुक्ल गुरुदेव से चारित्र की और प्रवर्तक अमर गुरुदेव से सम्यग दर्शन की प्रेरणा प्राप्त होती है। युवा रत्न मनोज लोढ़ा ने मंच संचालन किया। समारोह के चेयरमैन धर्मेश लोढ़ा, मंत्री शांतिलाल लुंकड़, संस्कार युवा संच, महिला मंडल, युवती मंडल, संस्कार महिला शाखा आए हुए गुरुभक्तों का आभार व्यक्त किया। श्रमण संघीय उप प्रवर्तक पंकज मुनि के मंगल पाठ द्वारा समारोह का समापन हुआ। सुगनचंद कांति लाल महेन्द्र छल्लाणी परिवार की ओर से गौतम प्रसादी एवं प्रभावना का भी आयोजन हुआ।

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar