कनिष्ठा पर समाप्त होता है ! हृदय रेखा जीवन रेखा और मस्तिष्क रेखा के ऊपर हथेली के शीर्ष पर स्थित होती है ! इसका आरम्भ तीन महत्वपूर्ण स्थानों गुरु पर्वत के मध्य से, पहली और दूसरी उंगलियों के बीच और शनि पर्वत के मध्य से होता है ! यह जातक की विपरीत लिंग के मध्य आकर्षण, भावनात्मक स्थिरता और मनोवैज्ञानिक सहनशक्ति का विश्लेषण करने के काम आती है !
यदि एक हाथ की हृदय रेखा स्पष्ट नहीं है पर दूसरे हाथ में हृदय रेखा स्पष्ट है तो वह व्यक्ति प्रेम में असफल होता है !
– हृदय रेखा जितनी लम्बी हो और गुरु पर्वत पर जितने अंदर से प्रारम्भ होती हो तो वह व्यक्ति उतना ही प्रेम में निपुण होगा !
– यदि हृदय रेखा की कोई रेखा मस्तिष्क रेखा को काटती है तो परिवार में मानसिक क्लेश होता है !
– यदि हृदय रेखा से छोटी-छोटी रेखाएं आकर मस्तिष्क रेखा में मिलती हैं तो उस व्यक्ति तो सम्पूर्ण जीवन मानसिक परेशानियों से सामना करना पड़ता है !
भाग्य_रेखा –
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार भाग्य रेखा हर व्यक्ति के हाथ में नहीं पाई जाती है ! जो जातक भाग्यशाली होते है उन्हीं के हाथों में ही भाग्य रेखा पाई जाती है ! इस कारण ही इसे भाग्य रेखा कहा जाता है ! हाथ की हथेली पर यह रेखा चंद्र पर्वत से आरम्भ होती है और वृहस्पति पर्वत पर जाकर समाप्त होती है !
यदि हमें हाथ में धन की रेखा को जानना है तो इसका आसानी से पता लगाया जा सकता है ! हस्त ज्योतिष के अनुसार इस धन की रेखा को भाग्य रेखा भी कहा जाता हैं ! माना जाता है कि जिस व्यक्ति के हाथ में यह रेखा है उसे धन के साथ, मान सम्मान और वैभव भी प्राप्त होता है ! भाग्य रेखा वाले लोगों की हथेली में यह रेखा होने से, वह जीवन में उच्च पद प्राप्त करते हैं ! ऐसे व्यक्ति कुशल बिजनेसमैन, प्रशासनिक अधिकारी, राजनेता या अभिनेता भी हो सकते हैं !
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार भाग्य रेखा जितनी लम्बी और दोष रहित होगी, व्यक्ति किस्मत का उतना ही धनी होगा ! ऐसे लोग अपार धन दौलत के मालिक होते हैं !
मस्तिष्क_रेखा –
मस्तिष्क रेखा हाथ में जीवन रेखा से मिलती हुई निकलती है या फिर जीवन रेखा के पास से निकलती हुई नजर आती है ! कई व्यक्तियों में बृहस्पति क्षेत्र से भी यह रेखा निकलती है ! मस्तिष्क रेखा से व्यक्ति की मानसिक या बौद्धिक क्षमता का पता लगाया जाता है ! हस्त ज्योतिष में यह मन की शक्ति और उसकी क्षमताओं को दर्शाती है !
मस्तिष्क रेखा से व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता का विचार किया जाता है ! कुछ जातकों की मस्तिष्क रेखा बहुत ही बड़ी होती है ! ऐसी मस्तिष्क रेखा हथेली के दूसरे सिरे तक पहुंचती है ! हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार ऐसे लोग अपने जीवन में खूब यात्राएं करते हैं !
संतान_रेखा –
संतान रेखा का स्थान छोटी अंगुली/कनिष्ठा की जड़ पर विवाह रेखा के ठीक ऊपर खड़ी रेखाएं संतान रेखा होती है, इसके अलावा अंगूठा वाला क्षेत्र पितृ क्षेत्र कहलाता है क्यों कि अंगूठे के नीचे शुक्र पर्वत होता है जो संतान सम्बंधित जानकारी देता है !
इस रेखा से हम यह अनुमान लगा सकतें है कि आपके कितने बच्चे होंगे, पुत्र-पुत्री के जन्म का विवरण, संतान का माता-पिता प्रति लगाव को दर्शाना,साथ में आपके संतान के स्वास्थ्य के बारे में भी बहुत जानकारी प्रदान करती है !
यदि संतान रेखा मोटी और चौड़ी है तो यह पुत्र प्राप्ति की ओर संकेत करती है ! इन रेखाओं को देखकर यह भी जाना जा सकता है कि किसी भी व्यक्ति की संतान कैसी होगी, उनका स्वास्थ कैसा होगा !
यदि संतान रेखा पतली व हल्की है तो यह पुत्री प्राप्ति की ओर संकेत करती है !
विद्या_रेखा –
विद्या रेखा का हमारे जीवन में बहुत बड़ा महत्व होता है विद्या रेखा से हम यह अनुमान लगा सकतें है कि हम पढ़कर कितना शिक्षित हो पाएंगे ! विद्या रेखा का आरम्भ हाथ में अनामिका व मध्यमा उंगली के बीच से होता है ! जिन जातकों के हाथों में यह रेखा होती है वह जातक चाहे कितने भी गरीब घर से क्यों न हो, अच्छी शिक्षा प्राप्त कर लेते हैं ! कुछ जातकों के हाथ में विद्या रेखा पर क्रॉस का चिन्ह होता है ! यह जातक जीवन में विद्या प्राप्ति में असफल रहते हैं ! कुछ जातकों के हाथो में विद्या रेखा नही होती तो उन जातको की विद्या का अनुमान अन्य रेखा अथवा पर्वत के आधार पर किया जाता है !
यात्रा_रेखा –
हस्त रेखा में हथेली पर बनी हर रेखा का अपना विशेष महत्व होता है ! हथेली पर अन्य सभी रेखाओं में यात्रा रेखा एकमात्र रेखा है, जो हथेली के विभिन्न अलग -अलग क्षेत्रों में पाई जा सकती है !
यह एक उभरती हुई रेखा होती है, इसका सही विश्लेषण किया जाना जरुरी है इसलिए रेखा में बदलाव को देखते हुए व विश्लेषण करते समय सावधानी अवश्य रखनी चाहिए ! उदाहरण के लिए, यदि कोई विदेश यात्रा करता है तो उसका परिवर्तन भाग्य और जीवन रेखा दोनों में दिखाई देगा !
यात्रा_रेखा —
यात्रा रेखा तीन स्थानों पर होती हैं –
1. चन्द्र क्षेत्र पर,
2. जीवन रेखा से निकलकर जीवन रेखा के सहारे-सहारे चलने वाली रेखाएँ !
3. मणिबन्ध से प्रारम्भ होकर ऊपर को जाने वाली रेखायें !
विवाह_रेखा –
विवाह रेखा से जुड़ी महत्त्वपूर्ण जानकारी :
➡️ हथेली में विवाह रेखा लंबी, सीधी और स्पष्ट होनी चाहिए ! जो विवाह रेखा ह्रदय रेखा के बराबर चलती है वह जातक के लिए अच्छी मानी जाती है !
➡️यदि हथेली पर एक से अधिक विवाह रेखा हो तो यह प्रेम प्रसंग का संकेत दिखाता है !
➡️यदि विवाह रेखा में दो शाखाएं निकली हुई हों तो उस जातक की शादी टूटने का डर रहता है !
➡️ यदि विवाह रेखा को कोई रेखा बुध पर्वत पर काट दे तो जातक का वैवाहिक जीवन परेशानियों से भरा हो सकता है !
➡️ यदि विवाह रेखा लम्बी और सूर्य पर्वत तक जाए तो यह सम्पन्न और समृद्ध जीवन साथी का घोतक होता है !
➡️ यदि किसी स्त्री के हाथ में विवाह रेखा के पास द्वीप का निशान बना हुआ हो तो विवाह में धोखा होने की सम्भावनाएं होती हैं !
➡️ यदि विवाह रेखा पर क्रास का निशान हो तब यह शुभ नहीं माना जाता है !
➡️ यदि विवाह रेखा बीच में टूटी हो तो इससे विवाह टूटने का खतरा बना रहता है !
➡️विवाह रेखा पर त्रिशूल का निशान बनने पर पति-पत्नी के बीच काफी प्रेम होता है !
ऐसी रेखाओं वाले लोग होते हैं धनवान :
आज के समय में जिसके पास पैसा है, उसी की वैल्यू है ! आज के समय हर कोई पैसा कमाने के लिए पढ़ाई-लिखाई से लेकर हर तरीके से कोशिश करता है जिससे वह ज्यादा से ज्यादा धनार्जन कर सके ! आज के समय समाज का दृषिकोण बदल गया है ! जिसके पास पैसा नहीं है तो समाज में भी उसका अस्तित्व नगण्य माना जाता है ! हस्तरेखा शास्त्र में हाथ की रेखाओं को व्यक्ति के भाग्य व धन से जोड़ कर देखा जाता है ! हम भी उत्सुक रहते है कि आखिर क्या कनेक्शन है इन हस्त रेखाओं का धन से !
हर किसी की हथेली में प्रमुख रूप से तीन रेखाएं होती हैं :
1. जीवन रेखा
2. मस्तिष्क रेखा
3. हृदय रेखा
वैसे इन रेखाओं में मुख्य रूप से भाग्य रेखा को अधिक महत्त्वपूर्ण माना जाता है ! हथेली के बीचो-बीच ऊपर की ओर अनामिका की और जाने वाली रेखा को भाग्य रेखा कहा गया है !
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की हथेली पर जीवन रेखा, मस्तिष्क रेखा और भाग्य रेखा के मिलने के स्थान पर M की आकृति बने तो व्यक्ति के धनवान बनने के प्रबल योग माने जाते हैं !
यदि किसी जातक की हथेली पर भाग्य रेखा सूर्य रेखा पर जाकर मिलती है तो ऐसे व्यक्ति को अचानक धन लाभ होने का योग बना रहता है !
यदि किसी के हाथ में भाग्य रेखा मणिबंध से निकलती हुई शनि पर्वत तक सीधी जाती है तो ऐसे व्यक्ति भाग्यवान और धनवान होते हैं !