‘मौन की साधना से तुम्हारी,
प्यारे सबके गुरुवर बसंत।
जीवन में तुम्हारे पूज्य प्रवर,
नया आया है रंग-ए-बसंत।। ‘
हमारे जिनशासन में एक से बढ़कर एक ज्ञान-ध्यान-जप-तप-स्वाध्याय-मौन साधना आराधक संत और आचार्य प्रवर हुए हैं जिन्होंने अपनी साधना से जिनशासन को नई उँचाइयाँ दी हैं। ऐसे ही एक महान, अनवरत मौन साधक परम पूज्य प्रवर श्री बसंत मुनि जी महाराज साहब की मौन साधना की रजत जयंती मनाने का सुअवसर हम सबको संप्राप्त हुआ है। मौन की इतनी लम्बी साधना से पूज्य श्री वसंत मुनि जी के संयम-जीवन एवं ध्यान-साधना-आराधना में एक नया संयम का बसंती रंग, दिव्यता-भव्यता का नया ओज अवश्य प्रकट हुआ होगा, ऐसी हमें उम्मीद ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है। यह विचार- दक्षिण सूर्य डाॅ. श्री वरुण मुनि जी महाराज साहब ने जैन स्थानक, सुले, बैंगलोर में आयोजित धर्म सभा में व्यक्त किए । श्री अभिजीत मुनि जी ने फरमाया-
आप की सरलता, सादगी, ध्यान, साधना, मौन और अन्य अनेक आयाम स्वयं दर्शनार्थियों के समक्ष प्रकट व मुखर हो जाते हैं। श्री आलेख मुनि ने कहा- इन्होंने अपनी इस निरंतर मौन साधना की रजत जयंती पूर्ण करके जैनत्व को एक नई ऊँचाई दी है, संतों और श्रावकों को तपाराधना की एक नई प्रेरणा दी है। श्रीसंघ के मंत्री महोदय ने कहा- अपने पुण्योदय के इस पुण्यावसर पर हम इनके उज्ज्वल भविष्य एवं संयममार्ग पर निर्जरा करते हुए बढ़ते रहने की मंगलकामना करते हैं।
इस पुण्यावसर पर उपाध्याय श्री केवल मुनि जैनोदय ट्रस्ट, शुले, बैंगलुरु के तत्वावधान में एक विशाल कार्यक्रम एवं अभिनंदन समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह में श्रुताचार्य, उत्तर भारतीय प्रवर्तक गुरुदेव श्री अमर मुनि जी महाराज के शिष्यों; उप प्रवर्तक श्री पंकज मुनि जी एवं दक्षिण सूर्य, ललित लेखक श्री वरुण मुनि जी आदि संतों द्वारा श्री बसंत मुनि जी महाराज को “आदर की चादर” भेंट करके उनकी मौन साधना की रजत जयंती के पुण्यावसर की शुभकामनाएँ दीं। समारोह में ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री महावीर चंद मलरेचा व मंत्री श्री प्रेम कुमार कोठारी आदि गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।