वीरपता की पावन भूमि आमेट के जैन स्थानक में साध्वी आनंद प्रभा ने कहा जिस तरह हमारे परिवार के सदस्यों के प्रति हमारा फर्ज होता है उसी तरह ही परमात्मा के प्रति भी हमारा फर्ज बनता है जिसने इस दुनिया में हमारे को भेजा। मोह माया में फंसकर मनुष्य परमात्मा को भूल जाता है जिस कारण उसे दुखों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि दुख आने पर फिर परमात्मा की याद आती है अगर हम नित्य प्रति भगवान का सिमरन करें तो हमें किसी तरह की विपदा का सामना नहीं करना पड़ेगा। अगर भगवान के भक्तों पर विपदा आती भी है तो भगवान स्वयं अपने भक्तों की रक्षा को दौड़े चले आते हैं।
उन्होंने कहा कि मनुष्य को जीवन में नाम सिमरन की कमाई करनी चाहिए जो लोक में भी काम आती है और परलोक में भी काम आती है। मीडिया प्रभारी प्रकाश चंद्र बडोला वह मुकेश सिरोहियां ने बताया कि साध्वी चंदन बाला एव साध्वी विनित प्रज्ञा ने भी अपने उद्बोधन श्रावक और श्राविका को दिए इस अवसर पर छत्तीसगढ़ दुर्ग से पधारी नंदा पारख ने गुरुमाता श्री जयमाला जी महाराज से 51 के उपवास के प्रत्यक्षण लिए इस धर्म सभा ने मद्रास से गोतम श्री माल भी पधारेl
इस धर्म सभा का संचालन पवन मेहता ने कियाl