श्री हीराबाग जैन स्थानक सेपिंग्स रोड में विराजित धैर्या श्री जी म सा ने कहा कि वेग को एक दम रोको मत उसको मोड दो मोड़ने पर वेग गति रुकती तो नहीं मगर परिवर्तित हो जाती है। जो वेग विध्वंश करने वाला था वह निर्माण करने वाला बन जाता है।
गति का प्रवाह साधना की ओर उन्मुख हो जाय तो वह वेग संवेग कहलाता है। शरीर में उत्पन्न बीमारी की ओर जब ध्यान केंद्रित है तो सारी शक्ति उसी ओर बहने लगती है तो वेग उद्वेग कहलाता है।
वही प्रवाह वासना की ओर उन्मुख हो जाता है तो वह आवेग कहलाता है। आगमश्री जी म सा ने केवल मुनि म सा के बारे मे बताया कि स्वयं पढ़ते और दूसरों को भी पढ़ाते थे।उन्होंने 11 वर्ष की उम्र में संयम धारण किया। आज अध्यक्ष डॉ भीकमचंद सखलेचा ने 101 संगीत एकसान करवाने का लाभ लिया । संचालन श्री गौतम जी नाहर ने संचालन किया।