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ज्ञान वाणी

मेलमरुवत्तूर के आदि पराशक्ति मंदिर में तेरापंथ के अधिशास्ता का पावन पदार्पण

मेलमरुवत्तूर के आदि पराशक्ति मंदिर में तेरापंथ के अधिशास्ता का पावन पदार्पण
मेलमरुवत्तूर, कांचीपुरम (तमिलनाडु): कांचीपुरम जिले में गतिमान अहिंसा यात्रा बुधवार को अपने प्रणेता भगवान महावीर के प्रतिनिधि जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी के साथ मेलमरुवत्तूर स्थित आदि पराशक्ति हायर सेकेण्ड्री स्कूल के प्रांगण में पधारे। दक्षिण भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक आदि पराशक्ति मंदिर से जुड़े इस प्रांगण में आचार्यश्री के आगमन से मंदिर की व्यवस्था और उससे जुड़े विभिन्न संभागों व विभागों के लिए अतिशय आह्लादित थे। वे राष्ट्रसंत महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी के स्वागत के लिए उत्सुक व उत्साहित दिखाई दे रहे थे। 
बुधवार को प्रातः आचार्यश्री मदुरान्तकम से मंगल प्रस्थान किया। स्थानीय लोगों को पावन आशीष देते हुए आचार्यश्री अगले गंतव्य की ओर मंगल प्रस्थान किया। आज आचार्यश्री का संपूर्ण विहार राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 45 पर होना था। आचार्यश्री रास्ते में आने वाले श्रद्धालुओं को अपनी आशीषवृष्टि से अभिसिंचित करते हुए लगभग ग्यारह किलोमीटर का विहार कर मेलमरुवत्तूर गांव स्थित आदि पराशक्ति हायर सेकेण्ड्री स्कूल में पधारे तो इसके प्रबन्धन आदि और मंदिर से जुड़े हुए पदाधिकारियों ने आचार्यश्री का पारंपरिक विधि से भव्य स्वागत किया। मंगल ध्वनि यंत्रों के साथ सैंकड़ों लोग आचार्यश्री की अगवानी में खड़े थे।
आचार्यश्री सभी को मंगल आशीष प्रदान करते हुए विद्यालय परिसर में मंगल प्रवेश किया। इस एरिया, मंदिर परिसर और उक्त विद्यालय के ट्रस्टी व आदि पराशक्ति मंदिर के मुख्य पुजारी के बडे पुत्र श्री अनबरन की नेतृत्व में सैंकड़ों लोग आचार्यश्री के स्वागतार्थ लाल वस्त्र धारण किए हुए थे। आचार्यश्री को आदि पराशक्ति मंदिर की ओर लेकर निकल पड़े। आचार्य मुख्य मंदिर के गर्भगृह तक पधारे और वहां से संबंधित जानकारी प्राप्त करने के बाद उपरान्त मंदिर के मुख्य पुजारी व स्थानीय श्रद्धालुओं में ‘अम्मा’ के नाम प्रसिद्ध श्री बंगारू अदिग्लार के पास पहुंचे। दोनों संतों के बीच लगभग आधे घंटे तक वार्तालाप के उपरान्त आचार्यश्री वापस जी.बी. पब्लिक स्कूल के प्रांगण में पधारे। 
स्कूल प्रांगण में स्थित हाॅल में उपस्थित श्रद्धालुओं को पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि 84 लाख जीव योनियों में मानव जीवन को दुर्लभ बताया गया है। सभी जीव योनियों में मानव जीवन को श्रेष्ठ बताया गया है। इसके माध्यम से ही साधना कर मोक्ष की प्राप्ति की जा सकती है। आदमी को प्राप्त इस मानव जीवन का लाभ उठाने का प्रयास करना चाहिए और साधना के पथ पर आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को इससे गलत कार्य से बचने का प्रयास करना चाहिए। 
आदमी के जीवन में ईमानदारी होनी चाहिए। आदमी कोई भी कार्य करे, उसमें पूर्ण नैतिकता रखने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को झूठ नहीं बोलना चाहिए। मानव जीवन में अहिंसा के भाव पुष्ट हों। मानव जीवन में अहिंसा की साधना होनी चाहिए। आदमी को सादगीपूर्ण जीवन होना चाहिए। वाणी, खान-पान, रहन-सहन में संयम होना चाहिए। संयम ही जीवन होता है। संयमित जीवन अच्छा हो सकता है। आदमी को कुछ समय साधना में भी लगाने का प्रयास करना चाहिए। मंगल प्रवचन के पश्चात अचरापाकम के श्री घीसूलाल शर्मा, श्रीमती सरिता शर्मा ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। वहीं अचरापाकम की महिला मंडल ने गीत के माध्यम से अपने आराध्य का अभिनन्दन किया। 

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