चैन्नई स्थित शान्तिनाथ जैन भवन में सौहार्द पूर्ण वातावरण में हुआ। आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनिश्री रमेश कुमार जी सहवर्ती मुनि सुबोध कुमार जी । तपागच्छ सम्प्रदाय के मुनि भुवन भूषण विजय जी म.सा उनके सहवर्ती मुनि हेमगुण विजय जी, मुनि वाशक्षेप विजय जी ।
परस्पर एक दूसरे की विहार की सुखसाता पूछी। जैन एकता समन्वय की दृष्टि से सामूहिक कार्यक्रम भी इस अवसर आयोजित हुआ।
धार्मिकों को कुछ बाते सदा याद रखनी चाहिए । जैसे दो चीजें कभी न भूलें । एक भगवान को दूसरी बात मृत्यु को । भगवान को याद करें या न करें परन्तु मृत्यु को सदा याद करें । जिससे भगवान स्वत: याद आ जायेगा ।
दो लोगों को कभी नाराज मत करना एक तो भगवान को दूसरा डाक्टर को । भगवान को नाराज कर दिया तो भगवान के पास भेज सकते हैं और डाक्टर को नाराज कर दिया तो वो आपको भगवान के पास भेज देगा ।
दो चीजें कभी याद मत करो। जिसने आपके साथ बुरा वर्ताव किया उसे । दूसरा आपने जिसके साथ अच्छा वर्ताव किया उसे कभी याद मत करो। इतना सा भी आप कर लें तो आपके जीवन व्यवहार में सुख ,शान्ति का वास हो सकता है।
तपागच्छ सम्प्रदाय के मुनि भुवन भूषण विजय जी ने कहा– हम सौभाग्यशाली हैं जिन्हें जिनेश्वर का धर्म मिला है ।
जिनशासन मिला है।मनुष्य का जन्म तो एक स्टेशन मात्र है। हमारा मिशन है मोक्ष ।क्या हम उसके लिए प्रयत्नशील है ?
यदि प्रयत्नशील हैं तो सद्गति होगी । जिनेश्वर धर्म का आचरण पालन जरुर करें । इधर उधर भटकना न पडें और हमारी दुर्गति न हो ।
क्या हम उच्चस्तरीय जीवन जी रहें हैं या निम्नस्तरीय जीवन । इन्द्रियां और मन का हम कैसा उपयोग कर रहें हैं । अपेक्षा है जीवन व्यवहार को बदलें । जिससे मनुष्य का जीवन सफल हो जायें ।