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ज्ञान वाणी

मुनि वही जिसके पास विवेक है : प्रवीणऋषि

मुनि वही जिसके पास विवेक है : प्रवीणऋषि

चेन्नई. पुरुषवाक्कम स्थित एएमकेएम में विराजित उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि ने कहा तैयारी के साथ किया जाने वाला कार्य निसंदेह पूर्ण होता है इसलिए मरने से पहले उसकी तैयारी करें। जो मृत्यु को जीता है उसे मृत्यु का भी कष्ट नहीं होता। जिसने मरने से पहले मृत्यु का आभास नहीं किया वे अपने अंत समय में भी संथारे की साधना नहीं कर पाते।

आचारांग सूत्र में बताया कि जीव जिस योनि में जाता है, उसी के शरीर से प्रेम करता है, दु:ख और कष्टों से बचकर जीना चाहता है। खटमल से लेकर शेर तक सभी जीव अपने शरीर को बचाने के कष्टों से भागते रहते हैं, उन्हें भय आयुष्य कर्म के बंध के कारण मृत्यु से भय लगता ही है, जिस तन में आत्मा रहती है उसे बनाए रखने और सम्मान पाने की लालसा में हिंसा, परिग्रह और दुष्कर्म करती रहती है। दु:खों से मुक्ति और सुखों की चाहत में साधना ही नहीं विराधना भी की जा सकती है इसलिए संयम और विवेक अपनाना चाहिए।

परमात्मा प्रभु ने कहा है कि जिसके पास यह विवेक है वही मुनि है। मात्र वेश और दीक्षा लेने से कोई मुनि नहीं हो सकता। अपना जीवन बचाने, धन और सुखों को कमाने के लिए मानवीय मूल्यों को न छोड़ें, किसी के साथ विश्वासघात न करें। दुनिया सबकुछ छीन सकती है लेकिन आपकी सोच और विवेक नहीं ले सकती।

तीर्थेशऋषि ने पांचों से विरक्त होकर जीवन जीने की कला बताई। उन्होंने कहा धर्म करने वाले के मन में भी पुन: बुराईयां आ सकती हैं। हमें अपनी इस आदत को बदलकर आत्मा के अन्दर के पापों को तप की आग में जलाना है और अपनी आत्मा को पवित्र बनाकर मूलस्वरूप में लाना है।
इस मौके पर प्रवर्तक रूपचंद के स्वास्थ्य लाभ के लिए सामुहिक नवकार महामंत्र का जाप किया गया। आयंबिल, उपवास के तपस्यार्थियों को पच्चखान दिलाए और अनुमोदना की।

उपाध्याय प्रवर ने ललिताबाई जांगड़ा के धर्म और सेवा कार्यों की अनुमोदना की जिन्होंने चेन्नई से 300 कि.मी. दूर स्थित कल्लकुरुचि में 1,400 गंभीर रोगियों की सेवा करते हुए उन्हें संयम और धर्म की प्रेरणा दे रही है। वहां से आए करीब ९० लोगों ने मांसाहार त्याग का पच्चखान लिया।
आगामी 5 से 12 अगस्त तक आचार्य आनन्दऋषि का जन्म जयंती महोत्सव मनाया जाएगा। चातुर्मास समिति के समस्त पदाधिकारी और सदस्य इस आयोजन की तैयारियों में लगे हैं।

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