मुंबई। पावन चातुर्मास एवं दिव्य सत्संग समिति, मुंबई की ओर से 25 नवम्बर 2018, रविवार को कांदीवली वेस्ट, महावीर नगर स्थित पावन धाम में राष्ट्र-संत श्री ललितप्रभ सागर जी, राष्ट्र-संत श्री चन्द्रप्रभ सागर जी और डॉ. मुनिश्री शांतिप्रिय सागर जी के अद्वितीय एवं अनूठे चातुर्मास की पूर्णाहुति पर भावभीना विदाई समारोह आयोजित किया गया।
इस अवसर पर चातुर्मास लाभार्थी श्री सम्पतजी चपलोत, श्री उमरावसिंहजी ओस्तवाल, श्री पारसजी चपलोत, श्री किशोरचंदजी डागा, श्री सुरेशजी जैन, श्री मनोजजी बनवट, श्री महेन्द्रजी भूतड़ा, श्री जवाहरलालजी देसलहरा, श्री राजेन्द्रजी श्री महेन्द्रजी सुराणा, श्री सागरजी जैन, श्री पुखराजजी रांका, श्री जितेन्द्रजी रांका, श्री रिखबचंदजी झाड़चूर, श्री गणपतलालजी सिंघवी, श्री मूलचंदजी जैन, श्री शांतिलालजी बोहरा, श्री अनिलजी चौरडिय़ा, श्री महेन्द्रजी चौपड़ा, श्री दिनेशजी सिंघवी, श्री संजयजी बोथरा, श्री सम्पतजी कूकड़ा, श्री भरतजी मेहता, श्री शंकरलालजी घीया, श्री गौतमचंदजी भंसाली, श्री सुरेन्द्रजी लोढ़ा और नगरसेविका श्रीमती बीनाजी दोशी का गुरुजनों ने एवं समाज के वरिष्ठ लोगों ने तिलक, माला और अभिंनदन पत्र देकर सम्मानित किया। इस दौरान जब मधुर गायिका श्रीमती दीपमाला बोहरा ने प्रार्थना कर जोड़ के, हम सभी को छोड़ के। जाओ ना गुरुदेव…भजन गुनगुनाया तो पावन धाम में बैठे सभी श्रद्धालुओं की आँखें भर आईं।

इस दौरान अखिल भारतीय ओसवाल परिषद बैंगलोर द्वारा गुरुजनों को राष्ट्र-गौरव के सम्मान से नवाजा गया।
याद रहेगा मुंबई: याद रखेगा मुंबई विषय पर संबोधन देते हुए संत श्री चन्द्रप्रभजी ने कहा कि मुंबईवासियों ने हमें चातुमाज़्स में जिस तरह से पलकों पर बिठाए रखा उसे हम कभी भूल न पाएँगे। हम संतों का यह विदाई समारोह कम चातुर्मास लाभार्थियों का आभार एवं अभिनंदन समारोह ज्यादा है।

हम तन से भले ही यहाँ से चले जाएँगे, पर मन से सदा आपके पास रहेंगे। उन्होंने कहा कि हमें भले ही भूल जाना, पर हमने जीने की कला के जो सूत्र दिए हैं, घर-परिवार को स्वर्ग बनाने के जो मंत्र दिए हैं उन्हें वैसे ही संभाल कर रखना जैसे कोई गर्भवती अपने गर्भ को संभाल के चलती है तो आपके जीवन में खुशियों का सवेरा उदय होता रहेगा।

उन्होंने कहा कि यहाँ आकर लगा कि मुंबई मायानगरी कम धर्मनगरी ज्यादा है। 2019 में बचपन का ऋ ण चुकाने का संकल्प लेने की प्रेरणा देते हुए उन्होंने कहा कि मारवाडिय़ों, मेवाडिय़ों और गुजरातियों को चाहिए कि उन्होंने यहाँ आकर जो धन कमाया है उस धन से वे अपनी मातृभूमि के उत्थान में अपनी महत्ती भूमिका निभाए। जिस स्कूल में पढ़े उसे उच्चस्तरीय बनाने में योगदान दे, जहाँ का पानी पिया वहाँ कम से कम 1 तालाब बनवाए, जहाँ का अन्न खाकर बड़े हुए वहाँ कम से कम 51 पेड़ लगवाए।
इस अवसर पर मुनि शांतिप्रिय जी ने कहा कि चावल में दूध मिलाने से खीर बनती है और मुंबई आने से तकदीर बनती है। राष्ट्र-संतों का यह चातुर्मास सामाजिक सद्भाव कायम करने, धार्मिक एकता बढ़ाने, शाकाहार और सदाचार को फैलाने, रिश्तों में मिठास घोलने, हँसते-मुस्कुराते हुए जीवन जीने और पूरे विश्व में धूम मचाने के रूप में सफ ल और ऐतिहासिक सिद्ध हुआ है। अगर सभी सत्संगप्रेमी गुरुजनों के सद्विचारों को अपनाकर आदर्शभरा जीवन जीते हैं तो वह आने वाले कल के लिए न केवल मुंबई वरन् पूरे भारत के लिए वरदानस्वरूप बन जाएगा।

इस अवसर पर बोम्बे हाईकोर्ट जज किशोरचंद जी तातेड़ ने कहा कि अब तक तो धर्म हमारे दिमाग तक ही उतरता था पहली बार इन गुरुजनों ने धर्म को दिमाग से दिल तक उतार दिया है जिससे मेरे और मेरे परिवार में चमत्कारी परिवर्तन हुए हैं, मशहूर फिल्म डायरेक्टर के सी बोकडिय़ा ने कहा कि पहले मुझे लगता था कि अमिताभ बच्चन सबसे अच्छा बोलता है, पर इन गुरुजनों को सुना तो लगा ये उससे भी ज्यादा अच्छा बोलते हैं, भारत जैन महामंडल के पूर्व अध्यक्ष एवं समाज सेवी धनश्याम मोदी ने कहा कि गुरुजनों की समयबद्धता, सरलता, सटीकता और सहजता ने मुंबईवासियों को कायल कर दिया है, मराठी समाज के गंगाराम आप्टे ने कहा कि हमारे समाज में गुरुजनों ने प्रवचन कर सैकड़ों लोगों को व्यसन और मांसाहार से मुक्त कर असीम उपकार किया है।
गुजराती समाज के परेश भाई शाह ने कहा कि समाज में गुरुजनों की प्रेरणा से जो क्रांति हुई है वह अद्भुुत है। इसके साथ ही रायचंद खटेड़ बैंगलोर, नरपतसिंह चौरडिय़ा, गौतमचंद नाहर, विशाल लोढ़ा पूना, दिनेश नाहर, श्रीमती सुनीता जैन, श्रीमती वैशाली जैन आदि अनेक वक्ताओं ने इस चातुर्मास को मुंबई और मानव समाज के लिए महामंगलकारी बताया।
कार्यक्रम में श्रीमती बदामी बहन घीया, श्री विमलजी कराड़, मेवाड़ नवयुवक मण्डल बोरीवली, मेवाड़ बालिका मण्डल बोरीवली, भुवाल माता मण्डल के अध्यक्ष श्री बाबूलालजी छाजेड़, श्री भंवरलालजी छाजेड़ का प्राप्त सेवाओं के लिए विशेष रूप से सम्मान किया गया।
इस अवसर पर संतश्री ललितप्रभजी ने कहा कि मुंबई अब हमारे लिए पीहर की तरह रहेगा। यहाँ का बुलावा आने की इंतजारी नहीं करेंगे वरन् कोई-न-कोई बहाना बनाकर आ जाएँगे। जैसे हनुमान जी की छाती में राम बसते थे अगर कोई हमारी छाती चीर के देखेगा तो सबसे पहले मुंबई दिखेगा। हमारे अब तक देशभर में 42 चातुर्मास हो चुके हैं, पर जो श्रद्धा हमें मुंबई में मिली वैसी कहीं नहीं मिली। वास्तव में मुंबई की कोई शानी नहीं है। इस बार तो हम देरी से आए, पर अगली बार और जल्दी आने की कोशिश करेंगे।
राष्ट्र-संत सूरत, बड़ोदा, अहमदाबाद, माउंट आबू, पाली होते हुए पहुँचेंगे जोधपुर-राष्ट्र-संत सूरत, बड़ोदा, अहमदाबाद, माउंट आबू, पाली होते हुए लगभग 20 जनवरी को जोधपुर पहुँचेंगे।