चेन्नई. साहुकारपेट के जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने श्रीपाल मैना चारित्र के माध्यम से कहा कि महान लोगो के जीवन चारित्र को सुनना बहुत ही सौभाग्य की बात है। लेकिन उससे भी सौभाग्य की बात उसको जीवन मे उतारना है।
अगर चारित्र को जीवन मे अमल नहीं कर रहे हैं तो उसके सुनने का कोई मतलब नहीं निकलता है। उन्होंने कहा कि सभा मे आकर चारित्र को सब नहीं सुन सकते है। अगर आपको मौका मिला है तो पूरा लाभ लेकर जीवन को बदल दें। अन्यथा जीवन जहा है वहीं रह जाएगा।
जीवन उनका बदलता है जो सही मायने में बदलाव की कोशिश करते है। आसानी से जीवन बदल सकता तो किसी को तप करने की जरूरत नहीं पड़ती। लेकिन आसानी से जीवन को नहीं बदला जा सकता है। इसके लिए दिन रात एक करना पड़ता है। जिनमे कड़ी तप की ताकत होती है उनका जीवन सुखद हो जाता है।
साध्वी सुविधि ने कहा कि आगम की यात्रा में मनुष्य जितने गोते लगाएगा उसका जीवन उतना सूंदर होता चला जायेगा। आगम के माध्यम से आज हम नौवे अनुत्तगतिमान सूत्र तक पहुच चुके है। अनुत्त का मतलब सर्वश्रेष्ठ होता है। इसके अलावा और कुछ भी श्रेष्ठ नहीं होता है।
इस सूत्र में जो जीव जितने गोते लगाएगा उसका जीवन उतना खिलता चला जायेगा अनुत्तगतिमान सूत्र में देवताओं में सबसे श्रेष्ठ देवता आते हैं। इस सूत्र में ऐसे जीवो का वर्णन है जो सबसे उच्च होते है। इस सूत्र के माध्यम से मनुष्य लोक में रहते हुए भी मोक्ष में चला जाता है।
इस सूत्र में 33 देवताओ का वर्णन बताया गया है। इसके जरिये मनुष्य देवलोक में भी अपना स्थान बना सकता है। उन्होंने कहा कि इसको सुनने का मौका हमे मिला है तो जीवन को बदल लेना चाहिए। बहुत ऐसे लोग हैं जो बदलाव तो चाहते है पर मौका नहीं मिल पाता है।
लेकिन हमें मिला है तो हम समय व्यर्थ कर रहे हैं। लेकिन याद रहे कि देवलोक में अपना स्थान बनाना है तो सूत्रों को सुन कर जीवन मे उतार लेना चाहिए।