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मिथ्यात्व को दूर करके धर्म की स्थापना करने वाले वीर पुरुष थे वीर लोकाशाह: डॉ. श्री रुचिकाश्री जी

मिथ्यात्व को दूर करके धर्म की स्थापना करने वाले वीर पुरुष थे वीर लोकाशाह: डॉ. श्री रुचिकाश्री जी

श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी बावीस संप्रदाय जैन संघ ट्रस्ट, गणेश बाग श्री संघ के तत्वावधान में एवं शासन गौरव महासाध्वी पूज्या डॉ. श्री रुचिकाश्री जी महाराज, पूज्या श्री पुनितज्योति जी महाराज, पूज्या श्री जिनाज्ञाश्री जी महाराज के पावन सानिध्य में वीर लोकाशाह जयंती, चातुर्मास समापन एवं कृतज्ञता अर्पण दिवस श्री गुरु गणेश जैन स्थानक, गणेश बाग, बेंगलुरु में दिनांक 18 नवंबर 2021 को आयोजित किया गया।

महासाध्वी डॉ. श्री रुचिकाश्री जी महाराज ने अपने प्रवचन में फ़रमाया कि वीर लोकाशाह ने धर्म को पुनः जागृत किया वास्तविक जिनशासन की शोभा एवं संयम की उत्कृष्टता क्या है लोकाशाह ने साधु जीवन को अपनाकर सभी समाज के समक्ष दर्शाया। वीर लोकाशाह के जीवन का परिचय देते हुए कहा कि वे मिथ्यात्व को दूर करके धर्म की स्थापना करने वाले वीर पुरुष थे। साध्वी जी ने आध्यात्मिक चातुर्मास समापन के अवसर पर बोले कि जन से जैन, जैन से जिन बना है। उसका नाम जिन शासन है। एक शब्द प्यारा-न्यारा जैनम जयति शासनम जो जैनेतर को जैन व जैन का जिन बना दें। तेरा-मेरा, इसका-उसका, इधर-उधर की सोच किसी साधु संत, महात्मा, मुनि के पास नहीं होती। सच्चा साधु वसुधैव कुटुम्बकम समझकर जगत के हर व्यक्ति के कल्याण की भावना रखते हुए काम करते है। आपने प्रेरणा दी कि इस चातुर्मास में जो भी ज्ञान अर्जन किया है, उसे आचरण में आत्मसात करें, यही चातुर्मास की सार्थकता होगी।

साध्वी श्री जिनाज्ञाश्री जी महाराज ने चातुर्मास संपन्न पर गीतिका प्रस्तुति की एवं सकल संघ से क्षमायाचना किया। गणेश बाग श्री संघ के अध्यक्ष लालचंद मांडोत ने चातुर्मास की उपलब्धियां, चातुर्मास के दौरान आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों और इस दौरान संघ का गौरव बढ़ाने वाले कार्यों पर प्रकाश डाला। एवं श्री संघ की और से साध्वी वर्य से क्षमायाचना करते हुए कृतज्ञता अर्पण किये। गणेश बाग श्री संघ सदस्य सुनील सांखला जैन ने अपने उद्बोधन में बोले कि अपने जीवन को सफल बनाना मनुष्य का कर्तव्य है। मनुष्य को समय नहीं बिताना चाहिए क्योंकि वह समय को नहीं, समय उसे बिता रहा होता है। मनुष्य के लिए एक-एक पल कीमती है। पूज्या साध्वीजी के सानिध्य में इस चातुर्मास के प्रत्येक दिन अनेक श्रावक श्राविकाएं ने धर्माराधना करते हुए जीवन सफल बनाने का पुरुषार्थ किये। सांखला ने कहा कि धर्म स्थान का गौरव भी सन्तो के अलावा श्रावक श्राविकाओं का स्थानक में आकर आराधना करने से होता है। उन्होंने सध्वीजी के उपकारों के लिए कृतज्ञता व्यक्त की एवं अविनय असाधना के लिए क्षमायाचना भी की।

श्री संघ के मंत्री सम्पतराज मांडोत ने चातुर्मास में सेवाएं देने वालों का श्री संघ की ओर से बहुमान अभिनन्दन किया गया। चातुर्मास के समापन पर अपने गुरुनिस्सा की विदाई के अवसर पर महिला मंडल के मंजू मांडोत, निर्मला सांखला, नगीना मांडोत, उषा कोठारी, सरोज सिसोदिया, सुशीला रातड़िया, प्रकाशबाई बोहरा आदि महिलाएं अपने मन के भाव गीत, कविता रचनाओं के माध्यम से प्रस्तुत किए। इस अवसर पर सुदर्शन मांडोत, राजू सकलेचा, मुन्नालाल डुंगरवाल आदि ने भी अपने विचार रखे।

सुनील सांखला जैन ने बताया कि चातुर्मास समापन पश्चात साध्वीजी का प्रथम विहार दिनांक 21 नवंबर प्रात: 9 बजे गणेश बाग से अशोकनगर शूले जैन स्थानक में होगा। धर्म सभा में गणेश बाग श्री संघ के पदाधिकारी, ट्रस्टी प्रकाशचंद मांडोत, त्रिलोक कटारिया, किशोर गादिया, गौतमचंद मांडोत, सम्पतराज कोठारी, विपिन पोरवाल, गौतमचंद कांकरिया, प्रकाश खिंवसरा सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे। धर्म सभा का संचालन एवं आभार सुनील सांखला जैन ने किया।

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