पनवेल श्री संघ में विराजित श्रमण संघीय जैन दिवाकरिया महासाध्वी श्री संयमलताजी म. सा.,श्री अमितप्रज्ञाजी म. सा.,श्री कमलप्रज्ञाजी म. सा.,श्री सौरभप्रज्ञाजी म. सा. आदि ठाणा 4 के सानिध्य में मित्रता दिवस के पावन प्रसंग पर आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए हैं महासती संयम लता ने कहा मित्र ढाई अक्षर का ऐसा रत्न है जिसकी संज्ञा हर किसी को नहीं दी जा सकती। मित्र हो पानी में मछली की तरह की मछली पानी के बिना रह भी ना पाए। सरोवर में पंछी की तरह मित्र ना हो कि थोड़ी देर साथ रहे और उड़ जाए। मित्रता तो मोमबत्ती और धागे की तरह हो,जैसे धागा जलता है तो मित्रता निभाने के लिए मोमबत्ती का मोम भी पिघलता है। मित्र तो ढाल की तरह होना चाहिए जो भले ही पीठ पर रहे पर संकट की बेला में हमारी रक्षा के लिए आगे हो जाए। भगवान महावीर ने भी कहा था “सत्त्वेसु मैत्री ” तुम उनके साथ मित्रता करो, जिनके जीवन में सत्व हो, यथार्थ हो, जिनकी जिंदगी दोहरी ना हो, जो अच्छे संस्कारों से युक्त हो, जिनके जीवन में धर्म और अध्यात्म के लिए जगह हो। जो नेक दिल हो, बुरी आदतों से बचे हो, बुरे काम से डरते हो, अच्छे कामों में विश्वास करते हो।
साध्वी ने आगे कहा मित्र का चयन मौज मस्ती के लिए ना करें। हमारी मित्रता ना तो स्वार्थ से जुड़े, ना कामना से, ना वासना से, ना लोभ से। मित्रता केवल प्रेम भावना से जुड़े। मित्र वही जो एक दूसरे के बुरे वक्त में काम आ सके। स्वार्थी मित्रों से जितना दूर रहा जाए उतना ही अच्छा। मित्र हो इत्र की तरह जिससे चरित्र महक सके। मित्रों के चयन में अधिक सावधानी रखें। मंगलाचरण के पश्चात साध्वी अमितप्रज्ञा, साध्वी कमलप्रज्ञा, साध्वी सौरभप्रज्ञा ने सामूहिक रूप से दिवाकर चालीसा का गान किया। मेवाड़ कन्या मंडल पनवेल की ओर से मित्रता दिवस पर सुंदर सी नाटिका की प्रस्तुति हुई। धर्म सभा में चेन्नई, पाली बारडोली, भिवंडी आदि अनेक क्षेत्रों से गुरु भक्तों ने दर्शन प्रवचन का लाभ लिया। बाल संस्कार शिविर का आयोजन हुआ जिसमें 100 से अधिक बच्चों ने भाग लिया।