हमारे लचीले कानून से अपराधी बच निकलते हैं। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कठोर कानून की आवश्यकता है। उक्त विचार राष्ट्र संत कमल मुनि कमलेश ने महावीर सदन में धर्म सभा को संबोधित करते व्यक्ति किया। उन्होंने कहा कि पारिवारिक रिश्तो में भी इस प्रकार की घटनाएं घट रही है।
यह और दुर्भाग्यपूर्ण है। आज नारी कहीं सुरक्षित नजर नहीं आ रही हैं। महिलाओं के साथ हैवानियत मानसिक विकृति का परिणाम है। इसके लिए अपराधी जितने दोषी हैं उतना ही दोषी सरकार भी है। जैन संत ने कहा कि ब्लू फिल्मों की भरमार है। मानो देश में सेंसर बोर्ड नाम की कोई चीज ही नहीं है।
वह अप्रासंगिक हो गया है। उसे बर्खास्त कर देना चाहिए। जिस प्रकार दूरदर्शन और फिल्मों में अश्लीलता की भरमार मानसिक विकृति को उत्पन्न कर रही है। जिसके परिणाम स्वरुप लोग निर्दयतापूर्वक बलात्कार करके मौत के घाट उतारने में भी संकोच नहीं करते हैं।
प्रशासन के नाक के नीचे खुलेआम अश्लील साहित्य और सीडीयों की भरमार है। जब तक सरकार इनके ऊपर नियंत्रण के लिए इच्छा शक्ति मजबूत नहीं करेगी तब तक नियंत्रण पाना असंभव है।
जब तक स्कूली पाठ्यक्रम , दूरदर्शन, फिल्मों में संस्कारों के बीजारोपण को प्राथमिकता नहीं दी जाएगी तब तक लोग संस्कृति की रक्षा के लिए आगे नहीं आएंगे। आध्यात्मिक शिक्षा ही ऐसे अपराधों पर अंकुश ला सकती है। चरित्र निर्माण के कार्यों को प्राथमिकता देनी होगी।
उन्होंने कहा बलात्कार जैसी घटनाओं के ऊपर भी स्वार्थ में राजनीतिक रोटियां सेकने वाले को इतिहास कभी माफ नहीं करेगा। इंटरनेट, यूट्यूब, फेसबुक पर आने वाले विकार युक्त कार्यक्रमों पर अंकुश लगाना सरकार का प्रथम कर्तव्य होना चाहिए।
बलात्कारियों को तत्काल दंड का प्रावधान हो। ऐसे दरिंदों का सामाजिक बहिष्कार किया जाना चाहिए। धर्माचार्यों को सामूहिक रूप से घोषणा करनी चाहिए ऐसे दरिंदों को धर्मस्थलों पर उपासना करने का अधिकार नहीं दिया जाएगा।
आध्यात्मिकता की दुहाई देने वाले देश में आए दिन इस प्रकार की घटनाओं का होना एक चिंता का विषय है। अंत में कौशल मुनि ने मंगलाचरण किया और घनश्याम मुनिम स विचार व्यक्त किए।