कोडमबाक्कम वडपलनी श्री जैन संघ प्रांगण में आज बुधवार तारीख 14 सितम्बर 2022, प पू. सुधा कंवर जी म सा आदि ठाणा 5 की निश्रा में प्रखर वक्ता श्री विजय प्रभा जी मसा के मुखारविंद से:-स्थानांग सूत्र के चौथे स्थान में चार प्रकार की कषाय का वर्णन किया गया है जिसमें दूसरी कषाय है – मान कषाय है जो जीवन के पतन का कारण बनता है। अभिमान कषाय के कारण बड़े-बड़े साधक और तपस्वीओ का तक पतन हो गया।
बाहुबली का उदाहरण देते हुए कहा कि 1 वर्ष की दीर्घ संयम पर्याय का पालन करने के पश्चात भी बाहुबली को केवल ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो रही थी। इसीलिए उनकी दोनों बहनों ने जब उन्हें समझाते हुए कहा कि आप अभिमान रुपी हाथी से नीचे उतरो यह वचन सुनते ही बाहुबली के भीतर चिंतन मनन का ऐसा ज्वार उमड़ा के पश्चाताप रूपी अग्नि में जलते हुए उन्हें केवल ज्ञान की प्राप्ति हुई। इसी प्रकार अभिमान हमारे रिश्तो को खराब करता है और हमारी समाधि को खंडित करता है।
सुयशा श्रीजी मसा ने फ़रमाया:-हमें अपने जीवन से, अपने आसपास के वातावरण से, अपने रिश्तेदारों से, अपनी किस्मत से कई शिकायतें होती हैं। और इन छोटी-छोटी शिकायतों के चक्कर में हम कई अमूल्य चीजों के लिए परमात्मा को धन्यवाद देना भूल जाते हैं।
परमात्मा की अनंत कृपा से हमें यह सुंदर जीवन प्राप्त हुआ है, कई सारी अमूल्य शक्तियां प्राप्त हुई है। परंतु अपने जीवन की उधेड़बुन में हम उन सब के लिए परमात्मा को धन्यवाद देना भूल जाते हैं और उनका सदुपयोग नहीं कर पाते। कुदरत का नियम है कि अगर आप किसी चीज का सदुपयोग ना करके उसका दुरुपयोग करें आपको वह चीज मिलना बंद हो जाती हैं। इसलिए परमात्मा की अनंत कृपा से हमें जो भी मिला है, जितना भी मिला है उन सब का सदुपयोग करके अपने जीवन को सुंदर बनाने का प्रयास करें और अपनी शिकायतों को कम करें।