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मानव शरीर को धर्म का प्रथम साधन माना गया है: महासाध्वी श्री सुधाकंवर जी

मानव शरीर को धर्म का प्रथम साधन माना गया है: महासाध्वी श्री सुधाकंवर जी

बेंगलुरु। श्री ऑल इंडिया श्वेतांबर स्थानकवासी जैन कांफ्रेंस नई दिल्ली के पूर्व राष्ट्रीय मंत्री एवं जैन कांफ्रेंस कर्नाटक प्रान्त के पूर्व कार्याध्यक्ष सुनील सांखला जैन ने बेंगलुरु हनुमंतनगर स्थित जैन स्थानक में चातुर्मासार्थ विराजित श्रमण संघीय साध्वी शिरोमणि पूज्या गुरुमाता श्री यशकंवर जी महाराज की सुशिष्या प्रज्ञा ज्योति, सम्बोधि कुशल पूज्या गुरुवर्या महासाध्वी श्री सुधाकंवर जी महाराज आदि साध्वी वृन्द के दर्शन लाभ एवं आशीर्वाद लिए।

इस अवसर पर साध्वी श्री सुधाकंवर जी ने फ़रमाया कि सांखला के धर्म प्रभावना, अध्यात्म के प्रति श्रद्धा एवं श्रमण संघ के प्रति दृढ़ निष्ठा एवं समर्पण देखकर अत्यंत प्रमोद भाव हुआ। साधु संतो के प्रति सांखला की भक्ति भावना अत्यंत सराहनीय है। साध्वी जी ने प्रेरणा दी कि गुरु के दिशा दर्शन के फलस्वरूप सभी लोगों में धर्म का भाव होता है, निष्ठा होती है, श्रद्धा, समर्पण का भाव होता है।

हमें हमारी संस्कृति प्रवृत्ति को, उसकी उपलब्धियों और संभावनाओं को समझकर उनके गुणों को आत्मसात करना होगा, क्योंकि हमारी परम्परा में ही हमारा जीवन प्रवाह बना रहता है। मानव शरीर को धर्म का प्रथम साधन माना गया है। शरीर को धर्माचरण में लगाकर जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। शरीर अन्तरात्मा का सुन्दर मन्दिर है, जब शरीर के साथ हमारे भाव और विचार अच्छे हो जाएं तो यह जीवन सार्थक बन जाएगा। सांखला ने साध्वी वृन्द से अनेक आध्यात्मिक एवं सामाजिक विषयों पर चर्चा हुई एवं साध्वीजी से मार्गदर्शन लिए। श्री सुधाकंवर जी महाराज ने मंगलपाठ फ़रमाया ।

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