चेन्नई. अंबात्तूर में विराजे श्रुतमुनि ने आंसुओं के महत्व के बारें में बताया। महावीर की आंख में संगम को उपसर्ग देने के बाद भी इसलिए आंसू आए क्योंकि उनके मन में विचार आया कि संगम के भवभ्रमण बढऩे का कारण में बना।
अभिग्रह पूर्ण न होने के कारण चंद्रमा की आंख में आंसू आए। कर्नाटक केसरी गणेश लाल की आंख में आंसू, बछड़े की करुण पुकार सुनकर आए। उन्होंने बताया कि देवता भी तीन बातों के लिए तरसते है।
आयुष्य लंबा पर संयम नहीं, धन बहुत लेकिन दान नहीं कर पाते और समय बहुत पर सत्संग नहीं कर पाते हैं। देव दुर्लभ जन्म हमें मिल गया है। दान,सत्संग और संयम भी सीख लेना चाहिए। इस अवसर पर गुडुर संघ ने मुनिगण से पधारने की विनती की।
प्रवचन में थाउजेंट लाईट, एन्नूर, तिरुत्तेनी के श्रद्धालु भी उपस्थित थे। गुरु गणेश मिश्री सेवा समिति के कोषाध्यक्ष निर्मलचंद मरलेचा और महिला समिति की पुष्पा दुग्गड़ ने प्रवचन लाभ लिया। सुरेशचंद ललवाणी ने सूचना दी कि आज वे आवड़ी पधारेंगे।