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मानव जीवन की सम्यक् आचार संहिता है- अणुव्रत : साध्वी मंगलप्रज्ञाजी

मानव जीवन की सम्यक् आचार संहिता है- अणुव्रत : साध्वी मंगलप्रज्ञाजी

अणुव्रत उद्दबोधन सप्ताह के अन्तर्गत सर्वधर्म सम्मेलन का हुआ आयोजन

 

चेन्नई ; अणुव्रत का सन्देश है कि मानव मात्र सौहार्द प्रेम के साथ रहे। उपासना पद्धति अलग हो, पर जातिवाद, सम्प्रदायवाद के आधार पर किसी को विभाजित न करें। एक-दूसरे को सहन करते चले। जीवन की किताब में यदि क्षमा, सहनशीलता शब्द नहीं तो उसके जीवन का कोई मूल्य नहीं। कोई धर्म घृणा और ईष्या की भावना को महत्व नहीं देता। उपरोक्त विचार अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी के तत्वावधान में अणुव्रत समिति, चेन्नई की आयोजना में अणुव्रत उद्दबोधन सप्ताह के अन्तर्गत सर्वधर्म सम्मेलन में साध्वीश्री डॉ मंगलप्रज्ञाजी ने तेरापंथ सभा भवन, साहूकारपेट में कहें।

साध्वीश्री ने आगे कहा कि अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री तुलसी ने अणुव्रत आन्दोलन का महान अवदान लेकर सामान्य मानवजाति से लेकर राष्ट्रपति भवन तक पहुंचे। अणुव्रत के असम्प्रदायीक आन्दोलन ने आचार्य श्री तुलसी को मानवता के मसीहा के रूप में स्थापित किया। उपासना पद्धति हमारी अलग-अलग हो सकती है, पर अणुव्रत मानव-आचार संहिता है।

  मानवीय प्रेम हमारा आदर्श बने

 

साध्वी श्री ने आगे कहा कि धर्म की शुद्धात्मा से विचारों की दुर्भावनाओं की गंदगी ही हटा देना चाहिए। आचार्य श्री तुलसी ने अणुव्रत के माध्यम से शान्ति का विशेष संदेश दिया। अणुव्रत की बात इंसानियत की बात है। आज हमारे देश में जो स्थितियाँ पनप रही है, व्यक्ति एक दूसरे को घृणा और ईर्ष्या की दृष्टि की देखता है। सच यह है कि जैन-बौद्ध सिक्ख, ईसाई, मुस्लिम आदि किसी ने हिंसा को महत्व नहीं दिया। अणुव्रत का उद्‌घोष है- इन्सान पहले इंसान, फिर हिन्दू या मुसलमान। आवश्यकता है भारत की अध्यात्ममयी वसुन्धरा पर जीने वाला हर व्यक्ति साम्प्रदायिक प्रेम की भावना से अपने आपको भावित करता रहे। यह मानवीय प्रेम हमारा आदर्श बने, इस लक्ष्य की ओर हमारे कदम बढ़ते रहें। हर धर्म का एक उद्देश्य हो, भेद-भाव की लकीरों को मिटाकर सौहार्द-भाव के दीप जलाएं, मैत्री की पवित्रधारा बहाएं। अणुव्रतों को जीने का पवित्र संकल्प लें।

अणुव्रत समिति की सदस्याओं ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। अध्यक्ष श्री ललितजी आंचलिया ने अणुव्रत के संदर्भ में विचार व्यक्त करते हुए, स्वागत स्वर प्रस्तुत किये।

सर्वधर्म सम्मेलन में हिन्दुधर्म का प्रतिनिधित्व करते हुए वल्ललार सभा के संस्थापक डॉ वेनू अदिकलार, बौद्धधर्म के अनुयायी श्री सिद्धार्थ के गुरुमूर्ति एवं बौद्ध धर्म सेंटर के संस्थापक इन्दो वर्मा एवं ट्रस्टी , ईसाई धर्म के डॉ सेट गुणसेखरन, तमिलनाडु राजयोग शैक्षणिक अनुसंधान केन्द्र की वरिष्ट सदस्या ब्रह्मकुमारी नीलिमा ने साम्प्रदायिक एकता की भावना को प्रस्तुत किया। सभी ने विश्व में शांति और सौहार्द का संदेश देते हुए कहा कि अणुव्रत जैसा महान अवदान देने वाले आचार्य तुलसी हमारे आदर्श हैं। साध्वी डॉ राजुल प्रभा जी ने मंच संचालन किया।

सभी अतिथियों एवं कार्यक्रम के प्रायोजक परिवार श्री विजयराज भरतकुमार कटारिया का अणुव्रत समिति द्वारा सम्मान किया गया। समिति की उपाध्यक्षा श्रीमती मंजु गेलड़ा ने आभार व्यक्त किया। सहमंत्री स्वरूप चन्द दाँती ने बताया कि अणुविभा परामर्शक गौतमजी सेठिया, उपाध्यक्ष नरेन्द्रजी भण्डारी, मन्जू गेलडा, संगठन मंत्री अशोक छल्लाणी, अणुव्रत सेवी सम्पराजजी चोरड़िया, विनोद पुनमिया, जितेन्द्र समदडिया, कमलेश नाहर, पवन माण्डोत, उत्तमजी, गुणवन्ती खटेड, सुभद्रा लुणावत, निर्मला छल्लाणी, उषा आंचलिया आदि अनेक अणुव्रत समिति सदस्यों के श्रम से कार्यक्रम सफल रहा है। तेरापंथ धर्म संघ की संघीय संस्थाओं के श्रावक श्राविकाओ और अन्य धर्म के श्रावक की गणमान्य गरिमामय उपस्थिति रही।

समाचार सम्प्रेषक : स्वरूप चन्द दाँती

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