जैन दिवाकर , प्रसिद्ध वक्ता गुरुदेव श्री चौथ मल जी म0 के आज्ञानुवर्ती, चौथे आरे की बानगी , घोर तपस्वी श्री रोशन लाल जी म0 के सुशिष्य एवं संथारा साधक तपस्वी भन्ते श्री प्रेम मुनि जी म0 के गुरु भ्राता, स्पस्ट वक्ता लौह पुरुष, संथारा विशेषज्ञ, गुरुदेव श्री धर्म मुनि जी म0, सेवामूर्ति श्री चिराग मुनि जी, श्री चंद्रेश मुनि जी म0 ठाणे, 3, जैन स्थानक नरवाना जिला जींद ( हरियाणा ) में चातुर्मास हेतु सुखसाता से विराजमान हैं।
प्रधान, श्री सज्जन जैन, महामंत्री, श्री हरिओम जैन धर्म की व्याख्या करते हुए गुरुदेव जी म0 ने फ़रमाया की मानव जितना जितना भी त्याग तपस्या द्वारा अपने कर्मों की निर्जरा करेगा वैसे ही आत्मा हल्की होती हुई ऊपर उठती जायेगी गुरू म0 श्री उत्तराध्ययन जी सूत्र के 29 वे अध्ययन में सवेंग, ओर निरवेंग से किस चीज की प्राप्ति होती हैं इस विषय पर गुरु म0 खूब किरपा क्षेत्र पर बरषा रहे हैं। हर रोज 24 घंटे का घरों के अन्दर श्री नवकार महामन्त्र का जाप, चल रहा है तपस्वी तपस्या में आगे से आगे बढ रहे हैं।