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मानव की भावना निर्मल हो दोषपूर्ण दृष्टि नहीं होनी चाहिये: महासति दिव्यज्योतिजी म.सा.

मानव की भावना निर्मल हो दोषपूर्ण दृष्टि नहीं होनी चाहिये: महासति दिव्यज्योतिजी म.सा.

नागदा जं. निप्र- मीडीया प्रभारी महेन्द्र कांठेड़ एवं नितिन बुडावनवाला ने बताया कि धर्मसभा में महासति दिव्यज्योतिजी म.सा. ने कहा कि व्यक्ति मानव जब भी जाये, जहां भी जाये, उसकी भावना निर्मल, पवित्र एवं समभावयुक्त होनी चाहिये एवं दृष्टी भी दोषपूर्ण नहीं होनी चाहिये। पानी में चाहे राख या चुना डालते है तो वह भी धोवन बन जाता है। पूज्य वैभवश्रीजी म.सा. ने कहा कि माँ बाप को बचपन से ही बच्चो को धार्मिक संस्कार देना चाहिये जिससे वे टी.वी. मोबाईल में व्यस्त नहीं रहेंगे। पूज्य काव्याश्रीजी म.सा. एवं पूज्य नाव्याश्रीजी म.सा. ने बंदे ओ बंदे छोड़ सारे धंधे, नाता प्रभु से जोड़ ले। गीत ने सबका मन मोह लिया।

मीडिया प्रभारी ने बताया कि मेघा संदीप कांठेड़ के 11 उपवास की बोली उपवास से लगाई गई जिसमें श्रीमती निर्मला पितलीया ने 5 उपवास एवं संजय गोखरू ने 5 उपवास की बोली ली गई। 3 उपवास कमलाबहन लुणावत सांवेरवाला के चल रहे है। आनन्द चालीसा जाप की प्रभावना का लाभ श्रीमती संगीता सुनील सकलेचा ने लिया। अतिथि सत्कार का लाभ एवं धर्मसभा का सफल संचालन अशोक जैन कोलन ने किया। सभा में प्रमुख रूप से श्रीमती सोनम सचिन कांठेड, शोभा नरेन्द्र सांवेरवाला, मुन्नीबाई सुभाष छोरीया, प्रतिभा महेन्द्र कांठेड, शिखा वैभव लुणावत, अमृत बहन मारू, मधुलिका नाहर, मनोरमा भण्डारी, बसन्तीलाल कोलन बेरछावाला, मुकेश धोका, संजय मुरडिया, किशोर राठौड, संतोष बुपक्या, अजीत मारू, अजय मुरडिया एवं नरेश औरा आदि थे।

दिनांक 05/08/2022

मीडिया प्रभारी
महेन्द्र कांठेड
नितिन बुडावनवाला

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