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मानवता के मसीहा थे दोनों गुरुदेव साध्वी – सुधा कंवर

मानवता के मसीहा थे दोनों गुरुदेव साध्वी – सुधा कंवर

कोडमबाक्कम् वड़पलनी श्री जैन संघ के प्रांगण में आज तारीख10 अगस्त बुधवार को प.पू.सुधा कवरजी मसा के मुखारविंद से:-आज का दिवस अपने आप में एक महत्वपूर्ण दिवस है! आज श्रमण सूर्य, दिव्य विभूति मरुधर केसरी श्री मिश्रीमल जी महाराज साहब एवं लोकमान्य तिलक शेरे राजस्थान श्री रूप मुनि महाराज साहब की जय जन्म जयंती मनाने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ! आज इन महापुरुषों के महत्वपूर्ण, गौरवशाली एवं अनूठे व्यक्तित्व का गुणगान करने का शुभ दिन है! मरुधर केसरी के जन्मदिवस को नशा मुक्ति के रूप में मनाते हैं! मरुधर केसरी का बचपन में ही माता से वियोग हुआ और वे मां की ममता से वंचित रहे! थोड़े दिनों के बाद उन पर स्नेह लूटाने वाली दादी भी चल बसी! उसके बाद वे गंभीर रूप से बीमार हो गए और संयोग से गुरुदेव श्री बुधमल जी महाराज साहब के मांगलिक से उनकी तबीयत में सुधार आ गया! उसके बाद मरुधर केसरी मसा ने उन्ही गुरुदेव बुधमल जी महाराज साहब के सान्निध्य में संयम अंगीकार कर लिया! मरूधर केसरी मिश्री के समान कड़क मधुर और मीठे थे! वे संप्रदायवाद से जुड़कर नहीं सत्य से जुड़ कर चलते थे! बाणगंगा नदी में मछलियां मारने वाले मुसलमानों का विरोध किया तो उन्होंने मरुधर केसरी पर लाठियां बरसायी! लाठियों की मार खाने के बाद भी मरुधर केसरी और रूप मुनि महाराज साहब ने संयम बरता और सुश्रावक पुखराज जी के प्रयासों से मुसलमानों को समझाने में सफल रहे! मुसलमानों ने सिर पर कुरान रखकर शपथ ली कि वे भविष्य में मछलियां नहीं मारेंगे! मिश्री मुनि मसा जिस गांव में भी गए वहां गौशाला, बकराशाला, पुस्तकालय, विद्यालय, संग्रहालय और छात्रावास का निर्माण किया! रूप मुनि मसा का जन्म नाडोल में हुआ था और उन्होंने अपने अथक प्रयासों से बहुत से वृद्धाश्रम और बहुत से अनाथालय बनाकर श्रमण संघ को गौरवान्वित किया!

सुयशा श्रीजी के मुखारविंद से:-राग द्वेष के विजेता थे मरुधर केसरी मसा! जन्म मरण बहुत से होते हैं लेकिन सब के जन्म मरण समाज कल्याण के लिए अच्छे या बुरे नहीं होते है! लेकिन मरुधर केसरी जैसे महापुरुषों की जयंती एक महोत्सव बनकर आती है और लोगों में उनके दीक्षा दिवस (मंगलवार) उनके जन्मदिन ( चतुर्दशी मंगलवार) और उनके पुण्यतिथि (चतुर्दशी मंगलवार) पर, अनुकंपा, त्याग संयम ज्ञान दर्शन चारित्र जैसी प्रेरणा लेकर आती है! दीक्षायें तो बहुत होती है, लेकिन सारी आत्माएं “श्रमण सूर्य” नहीं होती! शेरे राजस्थान रूप मुनि महाराज साहब अपनी कड़क भाषा, कड़क मुद्रा, जीव दया और मानव सेवा के लिए जाने जाते थे! उन्होंने मूक प्राणियों को अभयदान और कमजोर वर्ग के लोगों को सहायता करने में अपने आप को समर्पित किया! हमारी पुण्य वाणी है कि हमें उनकी जन्म जयंती मनाने का और उनके गुणगान करने का मौका मिला है! हमें उनकी जीवनी से हमारे जीवन में कुछ ना कुछ तप और त्याग करने की सीख एवं बदलाव लाने चाहिए!

उनसे हमें प्रेरणा मिलती है कि, हमें अपने से छोटों को देखकर जिनका स्तर हमारे से कम है उनकी मदद करनी चाहिए! परमात्मा को धन्यवाद भी देना चाहिए कि उन्होंने हमें उनकी मदद करने का मौका दिया! हमें अपने से बड़ों को देखकर उनके गुणों को देखकर प्रेरणा लेनी चाहिए! हम जो भी कार्य करते हैं उसमें हमारे भले के साथ-साथ समाज का भी भला होना चाहिए! हमारी भावनाएं हमारी जरूरतों के अनुसार बदलती रहती है! हमारे माता पिता हमारी हर गलती को माफ कर देते है! लेकिन इस जमाने में कोई किसी को बख्शता नहीं है ! इसलिए हममें बुरे समय का सामना करने का सामर्थ्य भी होना चाहिए! आज की धर्म सभा में श्रीमती सुशीला जी बाफना ने 30 उपवास एवं मनीषा जी लुंकड ने 25 उपवास के एवम प्रेमलता डागा के 8उपवास प्रत्याख्यान किए। इसी के साथ कई धर्म प्रेमी बंधुओं ने विविध तपस्याओं के प्रत्याख्यान लिए।

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