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मानवता कहॉं रह गई? : परम पूज्य डॉ.श्री गौतममुनिजी म.सा.

मानवता कहॉं रह गई? : परम पूज्य डॉ.श्री गौतममुनिजी म.सा.

जालना : रावण आज हर सड़कों पर है. मानवता एक धर्म है और सभी को इसका पालन करना चाहिए| क्या इंसान अब भी इंसान हैं? इस पर विचार करना आवश्यक हो गया है| गगनचुंबी इमारतें न केवल बेकार हैं, बल्कि उनमें रहने वाले लोगअच्छे है क्या| पाप और पुण्य को पहचानने वाला मन पुण्य कर्म करता है, डॉ. श्री. गौतम मुनिजी म.सा.उन्होंने यहां ये बात की| वे गुरु गणेश नगर के तपोधाम में चातुर्मास के अवसर पर आयोजित प्रवचन को संबोधित कर रहे थे| इस समय, बेंच पर उपदेश प्रभावक श्री. दर्शन प्रभाजी म.सा. सेवाभावी श्री गुलाबकंवरजी म.सा. सेवाभावी श्री हर्षिताजी म.सा. मौजूद थे|

 

आगे बोलते हुए, डॉ. श्री. गौतम मुनिजी म.सा. कहा कि हम मानवता की पूजा करते हैं| संतों की बुद्धि भी जरूरी है और उन गगनचुंबी इमारतों का क्या फायदा जहां इंसान को इंसान ही नहीं जानता| ऐसे मनुष्य को मनुष्य तभी कहा जाता है जब वह भावनाओं और कर्तव्य के प्रति सचेत हो| एक आदमी को एक आदमी की तरह जीना और कार्य करना चाहिए| गली- गली-मोहल्लों में लोगों की जगह रावण क्यों हैं? मानव स्वभाव अजीब होता जा रहा है| गौरैया -गौरैया को नहीं मारती, लेकिन चूहा बिना पेट के नहीं रहता| मनुष्य के साथ भी ऐसा ही है, हमारे जीवन में मानवता की बहस कहॉं होती है| हर कोई स्वार्थ से घिरा हुआ है| आदमी अपने लिए इमारतें बनाता है लेकिन क्या वह गरीबों के लिए मंदिर बनाता है? इंसान का जीवन कैसा होना चाहिए, ऐसा जीवन जो दूसरों की सेवा नहीं करता, उसे जीवन कैसे कहा जा सकता है? उन्होंने कहा कि धर्म के बिना जीवन अधूरा है| यदि किसी व्यक्ति के शरीर में श्रेष्ठ आत्मा है, तो वह शरीर मोक्ष को प्राप्त करता है| मोक्ष पाने के लिए कर्म अच्छे से करना चाहिए| आज आप जो शेयर कर रहे हैं वह अच्छा है| ऐसा करते समय कीमत भी अच्छी रखनी चाहिए|

 

डॉ. गौतम मुनिजी म.सा. कहा| इससे पहले, परम पावन वैभवमुनिजी म.सा.उन्होंने दिपासूत्र पर आधारित देवों के विषय पर भी बहुत अच्छा मार्गदर्शन दिया| उन्होंने कहा कि आज के युग में भोग को महत्व देने वाले लोग भगवान महावीर के संदेश, उनकी बातों और उनके कार्यों को भूल रहे हैं| तीर्थंकर का जीवन कैसा था? हमें उनके बताए हुए मार्ग पर चलना चाहिए| तीर्थंकरों की वाणी अंतरात्मा को जगाती है और मोक्ष की ओर ले जाती है| साझा करना अच्छी बात है और हमें इसे करना चाहिए| देवता और धर्म अलग नहीं हैं| आपकी सेवा में कोई रुकावट नहीं होनी चाहिए| यदि हम लाभार्थी बनना चाहते हैं तो हमें तीर्थंकर की आवाज सुननी चाहिए, ऐसा नहीं है कि भगवान को यह आवाज पसंद नहीं है| भगवती सूत्र ने देवता और धर्मल के बारे में बहुत अच्छी जानकारी दी है| जीवन एक चक्र की तरह है| गुरु वंदन हमेशा मनुष्य को ही करना चाहिए| गुरु वंदन में है महान शक्ति, महापुरुषों की कहानी अलग होती है| आप कैसे एक बेटा चाहते हैं, आप एक परिवार कैसे चाहते हैं? कहते हैं कि बेटा अच्छा है तो परिवार भी अच्छा है| वैभवमुनिजी म.सा. इस अवसर पर उन्होंने देवताओं और तीर्थंकरों के बारे में कई उदाहरण बताए| इस समय श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ की दादी-पूर्व अधिकारी श्रावक-श्राविक बड़ी संख्या में उपस्थित थे|

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