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माता-पिता संस्कार देते है, गुरू जीवन जीने की कला देते है: महासति दिव्यज्योतिजी म.सा.

माता-पिता संस्कार देते है, गुरू जीवन जीने की कला देते है: महासति दिव्यज्योतिजी म.सा.

नागदा जं. निप्र- महावीर भवन में महासति दिव्यज्योतिजी म.सा. ने कहा गर्भावस्था से बाल्यकाल तक बच्चो को संस्कार, शिष्टाचार, आचार, विचार, व्यवहार माता की सोच एवं संसार में आने के बाद जैसा आप करोगे आपका पुत्र भी वैसा ही करेगा। जैसे वातावरण में रहेगा वैसा बनेगा आप जो कार्य करते हो और उसको मना करते है तो वह आपकी कदापि नहीं मानेगा। इसके बाद बालक गुरू की पाठशाला में जाता है। गुरू से ही जीवन शुरू होता हे। अच्छा गुरू शिष्य को जीवन जीने की कला सीखाता हैं

महासति दिप्तीश्रीजी ने कहा कि जैसा कर्म करेगा इन्सान वैसा फल देगा भगवान। आप जैसा कर्म करोगे वैसा फल भोगने को तैयार रहना चाहिये । यह काम इस जन्म में हो या अगले जन्म में । चाहे आप राजा हो या रंक, नेता हो या अभिनेता, करोडपति हो या रोडपति। ईश्वर के खाते में सबके कर्मो का खाता है।

महासति काव्याश्रीजी म.सा. एवं नाव्याश्रीजी म.सा. ने झिलमिल सितारों का मधुवन होगा, की तर्ज पर प्रभु की महिमा का सुन्दर वर्णन किया।

 मीडीया प्रभारी महेन्द्र कांठेड एवं नितिन बुडावनवाला ने बताया कि आज की धार्मिक प्रभावना का लाभ विजयाजी महावीरजी पवनजी उमेशजी संघवी परिवार ने लिया। अतिथि सत्कार का लाभ संजयजी प्रवीणजी गोखरू ने लिया। तेले की लड़ी रचना चपलोत सहित कई गुरूभक्तों ने उनवास, एकासना, आयम्बील, बेला, तेला सहित कई तपस्या चल रही है। सामुहिक जाप की प्रभावना के लाभार्थी श्रीमती नीलमदेवी प्रकाशचन्द्र बुडावनवाला परिवार द्वारा प्रदान की गई। संचालन अरविंद नाहर ने किया एवं आभार श्रीसंघ अध्यक्ष प्रकाशचन्द्र जैन लुणावत एवं सतीश जैन सांवेरवाला ने माना। कल का ड्रेस कोड पुरूष सफेद वस्त्र महिलाओं के लिये लाल चुनडी का रहेगा।

दिनांक 25/08/2022

 मीडिया प्रभारी

    महेन्द्र कांठेड

  नितिन बुडावनवाला

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