नागदा जं. निप्र- महावीर भवन में महासति दिव्यज्योतिजी म.सा. ने कहा कि माता-पिता चलते फिरते तीर्थ है इनका आशीर्वाद ही हमको स्वर्ग का रास्ता या द्वार दिखा सकता है भारत की संस्कृति में मां का बहुत बड़ा स्थान है। मां हमेशा पुत्र का भला चाहती है वह देती बहुत ज्यादा है लेकिन बदले में कुछ भी नहीं लेती है। चाहे वह हमारी जननी माता हो, धरती माता हो, गौमाता हो, सर्वरोग निवारक तुलसी माता हो, चाहे वह भारत माता हो यहां तक कि हमारे शरीर की सफाई के लिये भी हरड़ को माता का दर्जा दिया गया है। माँ के चरणों की मिट्टी स्वर्ग से भी अधिक बड़ी पवित्र होती है। माँ ममता की मूरत है। माँ अमृत का विशाल भण्डार है।
माँ हमारी प्रथम गुरू है। इसका उपकार कभी नहीं भुलना चाहिये। जिसके सिर पर माता-पिता का हाथ आशीर्वाद है उसका इस दुनिया में कोई भी कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता है। एक कवि ने सही कहा ‘‘माँ से बढ़कर कौन है इस दुनिया में मुझको बतलाओ‘‘ गुरूदेव ने कहा वर्तमान समय में हम माँ के उपकार को भूल चुके है। आपने वृद्धाश्रम पर कटाक्ष करते हुए कहा कि एक माँ अपने 6 पुत्रों को संभाल सकती है लेकिन 6 पुत्र मिलकर भी एक माँ को नहीं संभाल सकते है। यह एक बहुत बड़ा कलंक है।
मीडिया प्रभारी महेन्द्र कांठेड़ व नितिन बुडावनवाला ने बताया कि अतिथि सत्कार चन्द्रप्रकाशजी दिलीपजी कांठेड ने किया। धार्मिक प्रभावना रजनेशजी कमलेशजी निलेशजी भटेवरा ने लाभ लिया। तीन उपवास तेले की लड़ी ब्रजेश भटेवरा ने की। संचालन अरविंद नाहर ने किया। 8 तपस्या के शुभ अवसर पर श्रीमती आयुषी सचिन चौधरी द्वारा दोपहर को महावीर भवन में चौबीसी का आयोजन किया गया। आभार प्रकाशचन्द्र जैन लुणावत एवं सतीश जैन सांवेरवाला ने माना।
दिनांक 29/08/2022
मीडिया प्रभारी
महेन्द्र कांठेड
नितिन बुडावनवाला