चेन्नई. कोडम्बरक्कम-वड़पलनी जैन भवन में विराजित साध्वी सुमित्रा ने कहा यह जीवन सोने की तिजोरी है इसमें कंकर भरने से बचना चाहिए। जीवन को ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए अब से कोई पाप नहीं करने का निश्चय कर लेना चाहिए। जीवन में पाप तो बहुत कर लिया अब समय पुण्य करने का आ गया है।
वर्तमान में लोग जन्म देने वाले माता पिता के उपकार भूल रहे हैं जबकि परमात्मा से पहले माता पिता का स्थान होता है। माता पिता को दुख देकर लाख भलाई के कार्य करलो सब व्यर्थ हो जाएगा। जो जन्म देने वालो के साथ अच्छा नहीं करते वो किसी और के साथ भी अच्छा नहीं कर पाते हैं।
धर्म की शुरुआत खुद के घर से होती है। अगर घर मे ही अच्छा संबंध नहीं है तो बाहर अच्छा नहीं हो सकता है। ब्रह्मा ने सृष्टि का निर्माण किया है विष्णु पालनकर्ता हैं और महेश संहार करने वाले हैं। लेकिन ब्रह्मा में विष्णु और विष्णु में महेश नही समा सकते। मां के अंदर अपने बच्चों के लिए ये तीनों गुण होते हैं।
जिस मां में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों हैं उनका उपकार भूलने वाले नरक का मार्ग बनाते हैं। जिसके पास माता पिता की दुआएं होती हैं उन्हें दवा की जरूरत नहीं पड़ती। ऐसे महान माता पिता के उपकार भूलना स्वयं की पहचान खोने के जैसा है।
जो अपने माता पिता को खुश रखना जानते हैं उनसे भगवान भी प्रसन्न रहते हैं। भगवान के आशीर्वाद से बढक़र माता पिता का आशीर्वाद है। जीवन को खुशहाल बनाना है तो अपने माता पिता को पहले स्थान पर रखो।