नागदा (निप्र)- महावीर भवन में महासति दिव्यज्योतिजी म.सा. ने धर्मसभा में गुरूवार पर विश्लेषण करते हुए कहा कि सभी के जीवन में गुरू का सर्वोत्तम स्थान है । संसार में आने पर माता गुरू का कार्य करती है। बचपन में पिता गुरू का एवं इसके बाद जो भी गुरू आपके जीवन में प्रवेश होता है वहीं से आपका जीवन शुरू होता है। जीवन में गुरू का होना अत्यंत ही आवश्यक है और महत्व रखता है। गुरू पेपरवेट के समान होता है जो हमारे ज्ञान को मस्तिष्क में स्थिर कर देता है, उड़ने नहीं देता है। गुरू हमारे जीवन के भी गुरू होते है।
अपना रहन सहन, पालन पोषण उन्हीं के ज्ञान से होता है। गुरू के प्रति श्रद्धा, आदर, सम्मान, सत्कार रखने वाला ही उनसे उच्च शिक्षा एवं ज्ञान पाने वाला ही जीवन में सफल होता है। गुरू की कृपा स्वर्ग के समान होती है जो जन गुरू के रहते या गुरू का चले जाने के बाद गुरू बदल देते है वो कभी जीवन में सुखी एवं सफल नहीं हो सकते है जिन्हें गुरू बनाया है उन्हीं को आत्मसात करना चाहिये हमको कभी भी गुरू नहीं बदलना चाहिये।
मीडिया प्रभारी महेन्द्र कांठेड़ एवं नितिन बुडावनवाला ने बताया कि गुरूभक्तों का दर्शन हेतु आवागमन चालु है। जिनका धर्मलाभ चातुर्मास समिति द्वारा लिया जा रहा है। संचालन हर्ष तरवेचा एवं सतीश जैन सांवेरवाला ने किया। आभार श्रीसंघ अध्यक्ष प्रकाशचन्द्र जैन लुणावत ने माना।
दिनांक 03/11/2022
मीडिया प्रभारी
महेन्द्र कांठेड
नितिन बुडावनवाला