राष्ट्रसंत डॉ वसंतविजयजी म.सा. की निश्रा में..
काशी में विश्व इतिहास में पहली बार भैरवाष्टमी पर 108 फीट के भैरवदेव की विराट प्रतिमा होगी स्थापित, सजेगा कृष्णगिरी का भी दरबार
कृष्णगिरी। इस ब्रह्मांड को संचालित करने वाली श्रीआदिशक्ति जगतजननी राजराजेश्वरी चमत्कारिणी देवी मां पद्मावतीजी की यहां श्रीकृष्णगिरी शक्तिपीठाधीपति, राष्ट्रसंत पूज्य गुरुदेवश्रीजी डॉ वसंतविजयजी की पावन निश्रा में हजारों दीपों की महाआरती से पूरा पंजाब जगमगा उठा। पंजाब प्रांत के लुधियाना, जालंधर, बठिंडा, चंडीगढ़, अमृतसर, पटियाला, अबोहर, फाजिल्का व विभिन्न जिलों–गांवों सहित देश के करीब 14 राज्यों से आए श्रद्धालुओं ने यहां फाजिल्का जिले के कीकरवालारूपा में श्रीमद् देवी भागवत कथा महापुराण में सामूहिक रूप से मां पद्मावती की हजारों दीपों से महाआरती की। इस दौरान देवों की दीप पूजा के दुर्लभ रहस्य की विस्तृत जानकारी गुरुदेवश्रीजी ने दी। उन्होंने कहा कि व्यक्ति की क्रिया का फल प्रतिक्रिया के रूप में मिलना ही चाहिए। यदि नहीं मिल रहा तो उस क्रिया में गलती है, जिसे सुधारना आवश्यक है।
राष्ट्रसंत डॉ वसंतविजयजी म.सा.ने आगामी दीपोत्सव पर्व की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कोई भी त्यौहार मजे के लिए नहीं बल्कि व्रत, पूजा, आराधना युक्त पर्व के रूप में मनाएंगे तो ऐसे त्यौहार संकटरहित, नुकसानरहित कल्याणकारी व फायदे के बन जाएंगे। उन्होंने कहा कि दिवस विशेष पर कृत्रिम जीवन नहीं जिएं। यदि 365 दिन स्वयं खुश रहें तथा रोज एक व्यक्ति को भी खुश कर दें तो उसके लिए रोज ही दीपावली है। साधना के शिखर पुरुष संतश्रीजी डॉ वसंतविजयजी महाराज बोले, लोगों के घरों के मंदिरों में अनेक देवों की मूर्तियां फोटोज है, उन्हें मात्र मूर्ति फोटो नहीं माने। साक्षात परमात्मा मानकर भक्ति करें। उन्होंने कहा जिन चीजों से घर परिवार के सदस्य प्रसन्न होते हैं उन्हें पहले घर के कुल देवी, देवता को अर्पण करना चाहिए। फिर उन्हें कुछ बताने की या मांगने की जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि देवता आपका काम स्वतः करेंगे।
वचन सिद्ध संतश्री डॉ वसंतविजयजी महाराज ने कहा कि जो सत्यवान और संस्कारवान है उन पर मां के साथ समस्त देवता अपनी अनंत कृपा बरसाते है। मय उदाहरण के प्रसंगवश उन्होंने भगवान को घर में दीपक करने की शास्त्रोक्त सही विधि बताते हुए कहा कि आज लोगों में भगवान को दीपक करने के मतलब की बुद्धि है, मगर भक्ति करने की सिद्धि नहीं है। पर्व त्यौहार पर देवता को नए वस्त्र तथा देवी मां को श्रंगार आदि सामग्री मय भोग प्रसाद के समय-समय पर श्रद्धा भक्ति से अर्पण करने की प्रेरणादायी सीख भी उन्होंने दी। सर्वधर्म दिवाकर, अध्यात्म योगीराज संतश्री डॉ वसंतविजयजी ने कहा कि जरूरत के समय संसार सामने होते हुए भी विमुख हो जाएगा, लेकिन देवता दूर होते हुए भी बुलाते ही आ जाएंगे।
इस दौरान पूज्य गुरुदेव ने शनिवार विशेष श्रीभैरवदेव के प्रिय शिष्य शनि ग्रह की अति दिव्य पराक्रम, शौर्य बढ़ाने वाली कथा का वाचन कर संगीतमय अलौकिक भैरव स्तुति प्रसाद का आशीर्वाद भी प्रदान किया। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण थॉट योगा यूट्यूब चैनल पर लाइव प्रसारित किया गया। श्रीमती सुनीता मनमोहन सिहाग ने बताया कि शाम के सत्र में हवन यज्ञ में आहुतियां दी गई। लक्की ड्रा के माध्यम से अनेक भाग्यशाली विजेताओं को स्वर्ण, चांदी के सिक्के व होम अप्लायंसेज के उपहार भेंट किए गए। उन्होंने बताया कि 17 अक्टूबर को नौ दिवसीय देवी भागवत कथा की पूर्णाहुति होगी।
काशी में भैरवाष्टमी पर बनेगी 108 फीट की भैरवदेव की विराट प्रतिमा..
राष्ट्रसंत पूज्य गुरुदेव डॉ वसंतविजयजी महाराज साहेब की पावन निश्रा में उत्तर प्रदेश के काशी (वाराणसी) में आगामी भैरवाष्टमी के महापर्व को अष्ट दिवसीय आयोजन के तहत 9 नवंबर से 16 नवंबर तक अति विराट रूप से मनाया जाएगा। इस दौरान विश्व इतिहास में पहली बार 108 फीट की भैरवदेव की विशाल प्रतिमा स्थापित की जाएगी।
वहीं चार–चार फीट की 1,08,000 भैरव मूर्तियां गंगा की पवित्र मिट्टी से निर्मित कर इतने ही दीपों, इतनी ही ईमरती नैवेद्य व 1,08,000 पुष्पों से पूजित किया जाएगा। इस ऐतिहासिक आयोजन में श्रीभैरव महापुराण कथा का वाचन पूज्य गुरुदेव डॉ वसंतविजयजी म.सा. के श्रीमुखारविंद से होगा।
साथ ही पूज्य गुरुदेवजी द्वारा अष्टसिद्धिकृपायंत्र भी इस दौरान उपस्थित श्रद्धालुओं को प्रदान किया जाएगा। आयोजन की विस्तृत जानकारी मोबाईल 9051390513 से प्राप्त की जा सकती है।