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माँ ममता का मंदिर है – साध्वी सुयशा

माँ ममता का मंदिर है – साध्वी सुयशा

जय जिनेंद्र कोडंबाक्कम वडपलनी जैन भवन प्रांगण में पर्युषण महापर्व के पाँचवे दिन ताः 28/08/2022 रविवार को प.पू. श्री सुधाकंवरजी म सा के मुखारविंद से:-अंतकृत दशांग सूत्र का वाचन करते हुए पद्मावती आदि कृष्ण वासुदेव की पटरानियां एवं पुत्रवधूओ के जीवन पर प्रकाश डाला।

 

प. पू. श्री सुयशा श्री जी म सा ने फरमाया :- स्थानांग सूत्र के तीसरे स्थान में परमात्मा ने फरमाया है कि इस संसार में तीन उपकारी है जिनके जिनके ऋण से हम कभी उऋण नहीं हो सकते – माता पिता, भरण पोषण कर्ता और गुरु। वैसे तो हमारा पूरा जीवन ही उपकार से चलता है। मनुष्य बिना सहयोग के नहीं जी सकता। जिंदगी को सुचारू रूप से चलाने के लिए हमें हर दिन किसी न किसी के सहयोग की आवश्यकता पड़ती है। लेकिन उपरोक्त तीनों का उपकार हम कभी चुका नहीं सकते। इस संसार में प्रवेश करते हैं हमारा सबसे पहला संबंध हमारे माता-पिता से बनता है।

इस संसार में हमें सबसे ज्यादा प्रेम करने वाले, हमारा सबसे ज्यादा ख्याल रखने वाले, हमारी सबसे ज्यादा परवाह करने वाले अगर कोई है, तो वह हमारे माता-पिता है। पर विडंबना यह है कि जो हमें सबसे ज्यादा प्रेम करते हैं हम उन्हें ही सबसे ज्यादा तकलीफ देते हैं। हमारे कमजोर समय में हमें माता-पिता ने संभाला तो हमारा भी दायित्व बनता है कि हम भी उनके नाजुक समय में उनका सहारा बने। आज की धर्म सभा में कई तपस्वियों ने 6 उपवास, 7 उपवास, 8 उपवास एवं विविध तपस्याओं के प्रत्याख्यान ग्रहण किए।

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