तेरापंथी सभा का तीन दिवसीय प्रतिनिधि सम्मेलन शुरू
चेन्नई. माधवरम में जैन तेरापंथ नगर स्थित महाश्रमण सभागार में विराजित आचार्य महाश्रमण ने सोमवार को तेरापंथी सभा के तीन दिवसीय प्रतिनिधि सम्मेलन की शुरुआत पर कहा वैसे तो तेरापंथ की अनेक संस्थाएं हैं जो अपने-अपने ढंग से कार्य कर रही हैं, किन्तु महासभा मजबूत संस्था है जिस पर अतिरिक्त बोझ भी डाला जा सकता है। आचार्यश्री ने नवीन ज्ञानशालाओं की स्थापना तथा पूर्व से संचालित हो रही ज्ञानशालाओं के ज्ञानार्थियों की संख्या के साथ-साथ गुणवत्ता वृद्धि पर भी ध्यान देने को कहा।
धर्म के क्षेत्र में चार तीर्थ बताए गए हैं-श्रावक-श्राविका तथा साधु-साध्वी। दोनों के अलग-अलग विधि-विधान हो सकते हैं। कलयुग में संगठन की शक्ति होती है। संगठन के सामने व्यक्ति गौण होता है। जहां व्यक्ति प्रधान हो जाए तो वहां संगठन कमजोर हो सकता है। सभाएं स्थानीय स्तर पर जिम्मेदार होती हैं तथा तेरापंथ की प्रतिनिधि संस्था महासभा का स्थानीय स्तर पर प्रतिनिधित्व करने वाली होती हैं।
उन्होंने कहा महासभा धार्मिक-आध्यात्मिक उन्नयन करती रहे। यह सम्मेलन विकास वाला हो और इसमें शामिल विभिन्न सभाओं के प्रतिनिधि अच्छे विचारों का आदान-प्रदान करें।
प्रतिनिधियों को पूर्ण जागरूकता और सकारात्मक सोच के साथ कार्य गतिशील रखने का प्रयास करना चाहिए। मुख्यमुनि ने भी प्रतिनिधियों को अपना दायित्व निष्ठा के साथ निभाने को उत्प्रेरित किया।
‘ठाणं आगमाधारित प्रवचन में आचार्य ने जीव-अजीव की विस्तृत व्याख्या हुए लोगों को हिंसा से बचने की प्रेरणा दी। साथ ही ‘मुनि मुनिपत का व्याख्यान भी दिया। इससे पूर्व सवेरे आचार्य के मंगलपाठ के साथ सम्मेलन की शुरुआत हुई। महासभाध्यक्ष हंसराज बेताला व उपाध्यक्ष ज्ञानचंद आंचलिया, चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति अध्यक्ष धर्मचंद लूंकड़, अमरचंद लूंकड़, विनोद बैद भी उपस्थित थे।