जैन संत डाक्टर राजेन्द्र मुनि जी ने उत्तराध्ययन सूत्र क़े माध्यम से महाप्रभु महावीर वाणी पर बोलते हुए जीवन की क्षण भंगूरता का वर्णन किया, जीवन मे सुख दुख लाभ हानि का सम्बन्ध बना रहता है! इन क़े आने जाने पर अहंकार व कष्ट का अनुभव न करके मन मे सदा समत्व योग की साधना मे मन को लगाए रखना ही वास्तविक धर्म साधना है! सनतकुमार चक्रवर्ती सुन्दर रूप यौवन राज्य वैभव से सम्पन थे किन्तु जीवन मे अचानक दाह ज्वर से सम्पूर्ण शरीर मे आग आग सा अनुभव होने लगा धर्म स्मरण करते रहे वेदना शान्त हुई एवं स्वयं राज्य वैभव का त्याग कर संयम क़े मार्ग को अनुसरण करते! इसी प्रकार कपिल केवली गरीब ब्राह्मण परिवार क़े होने से राजा से याचना हेतु महलो मे गए राजा दान देने को तैयार होता, कपिल की इच्छाएं अनंत रूप धारण कर लेती है पुन : शुभ भावों का जागरण होता है तो सर्वस्व त्याग कर केवली बन कर मोक्ष को प्राप्त कर लेते है!
किए हुए पाप बिना भोगे समाप्त नहीं होते जो जैसा करता है वो वैसा भोगता भी है अत : पाप कर्मों से कार्यों से सदा दूर रहना ही ज्ञान का सार स्वरूप कहलाता है! ज्ञानी जन ज्ञान का उपयोग सद कर्म क़े उपार्जन करने मे लगाता है न कि ज्ञान से पापार्जन करता है! धनतेरस क़े उपलक्ष मे आचार्य देवेन्द्र क़े वन्दन स्वरूप श्री पंसठिया महामंगल कारी जाप का भव्य आयोजन कर धनतेरस पर्व हेतु सभी को मंगल कामनायें प्रदान की गई! महामंत्री उमेश जैन प्रधान महेश जैन व पुष्पइंद्र जैन आदि द्वारा आज क़े लक्की ड्रा विजेताओं का सम्मान किया गया व सामाजिक सूचनाएं प्रदान की गई।