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महावीर ने मैेत्री भावना के द्वारा प्राणी मात्र के सुख की कामना की: डाक्टर राजेन्द्र मुनि जी

महावीर ने मैेत्री भावना के द्वारा प्राणी मात्र के सुख की कामना की: डाक्टर राजेन्द्र मुनि जी

नूतन वर्ष प्रदीपदा के उपलक्ष्य में बोलते हुए डाक्टर राजेन्द्र मुनि जी ने भगवान महावीर निर्वाण एवं गौतम स्वामी के केवल ज्ञानी बनने का उल्लेख किया! जैन इतिहास में इन दोनों भव्य आत्माओं का महती श्रद्धा के साथ नाम स्मरण किया जाता है! आज जो कुछ भी जैन धर्म संबंधित विचार धारा प्रवाहित हो रही है वे इन्ही की बदौलत है! प्रभु महावीर की धर्म दर्शन की व्याख्या सम्प्रदाय तक सिमित न होकर विशव व्यापी रही है! जैन धर्म के सिद्धांत प्राणी मात्र के लिए उपकारी है! आज नूतन वर्ष पर मंगल कामनायें की जाती है! संसार के सभी जीव सुखी रहें किसी को किसी भी प्रकार का कष्ट न सतावे! हमारी पावन परम्परा वसुधव कुटुंबकम की रही है!

सारा जगत मेरा अपना परिवार है मै उसी का एक अंग हूं! उनका सुख दुख मेरा है! वेदों में भी कहा गया है हे परम पिता परमात्मा मेरी आँखों में ऐसी दृष्टि प्रदान कर दो जिससे जो भी मुझे नजर आवे वो मुझे अपना मित्र दिखलाई दे! आगमो में इसे मैंत्री भाव कहा जाता है!सर्वत्र मित्रतावत व्यवहार मेरी चर्या बन जाए, आज का युग स्वार्थ प्रधान हो गया है! व्यक्तिगत जीवन को ही सुखमय देखना चाहता है उसे न अपने परिजनों के न समाज जनों के सुख की चाहना है। अपने लाभ के पीछे दूसरों का नुकसान चाहता है पूर्व समय था जब इंसान अपना अहित करके भी देश दुनियां के हित की चाहना रखता था! सभा में पूर्व विधायक श्री सरूप चंद जी सिंगला ने सभी को हार्दिक शुभकामनायें प्रदान की एवं महामंत्री उमेश जैन ने सूरत से आये हुए दर्शणार्थी बंधुओ का स्वागत किया व सामाजिक सूचनाएं प्रदान की।

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