आज पर्वाधिराज पर्युषण का चौथे दिन भगवान महावीर का जन्मोत्सव बडी धूमधाम से मनाया गया। पूज्यनीय गुरुभगवंतों ने जन्म वाचन का महत्व ओर भगवान महावीर की महिमा का गुणगान किया। प्रवचन का आज का विषय था ” भावना का महत्व” और ” घर एक मंदिर” पर प्रकाश डाला।
पूज्यनीय महासती प्रियंकाजी महाराज साहब ने भावना का विवेचन कर कहा कि भावना ही पुन्य पाप, राग वैराग्य, सांसारिक जीवन एवं मोक्ष, आदि का कारण है, अतः हमें हमारी भावना की शुद्धता को परखते रहकर, सदा कुत्सित भावनाओ का त्याग एवं उत्तम भावना भानी चाहिए ।
पूज्यनीय महासती सरिताश्रीजी महाराज साहब ने घर को मंदिर बनाने की प्रेरणा देते हुए कहा कि घर केवल इंट पत्थर का घरौंदा नहीं, बल्कि खुशियां, सामर्थ्य, एकता, उच्च संस्कार और अच्छी भावनाओ से परिपूर्ण होना चाहिए। परस्पर विश्वास, सहयोग, सामंजस्य, शुद्ध विचार से सराबोर हो । घर के वरिष्ठ जनों का आदर-सम्मान ओर छोटों के प्रति आत्मिक प्रेम और जुडाव हो । घर में आध्यात्मिकता और सुसंस्कारों की ज्योति सदा जलती रहे । समय समय पर धर्म भावना ओर सुविचारौं की बातें हो । बच्चों में सुसंस्कारों का बीजारोपण हो ।
ये वरिष्ठ जनों का कर्तव्य है कि वे अपनी अच्छी विरासत ओर ज्ञान बांटते रहें । घर में सामंजस्य एकता और सुसंस्कार है तो घर मंदिर है ।
सादर जय जिनेन्द्र