चेन्नई. साहुकारपेट स्थित जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने उत्तराध्ययन सूत्र के माध्यम से चल रहे भगवान महावीर की देशना में कहा कि महावीर ने अपनी अंतिम देशना जगह के कल्याण के लिए दिया है। अगर इसको सही तरीके से जीवन में उतारने का प्रयास किया जाए तो मनुष्य से परामत्मा बनने में ज्यादा समय नहीं लगेगा।
फर्क यही है कि उस देशना को मनुष्य किस तरह से जीवन में उतारता है। देशना के दौरान महावीर को पता चल गया था कि यह उनकी अंतिम देशना है। जिसके लिए उन्होंने उसे जगह के कल्याण के लिए सुनाया। उन्होंने कहा कि अंतिम देशना की वजह से गौतम स्वामी को केवल ज्ञान की प्राप्ति हुई।
गौतमस्वामी की तरह ही मनुष्य भी चाहे तो अपने भव का कल्याण कर सकता है। इस दीपावली के पर्व पर सभी को अपने अंधकार भरे जीवन में प्रकाश कर लेना चाहिए। एक दिन घरों में दीप जलाने से प्रकाश नहीं आता है, बल्कि उस दीप को हमेशा जलाए रखने से प्रकाश आता है।
परमात्मा का आशीर्वाद हमेशा मनुष्य पर बना रहेगा अगर मनुष्य उनके दिखाए मार्गो के अनुरूप कार्य करेगा। अब तय मनुष्य को करना है कि उसे किस मार्ग पर आगे बढऩा है। इस मौके पर उन्होंने महामांगलिक सुनाया। इस दौरान संघ के पदाधिकारीगण के अलावा अन्य लोग उपस्थित थे।