उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि ने कहा
चेन्नई. पुरुषावाक्कम स्थित श्री एमकेएम जैन मेमोरियल सेंटर में विराजित उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि एवं तीर्थेशऋषि के सान्निध्य में आचार्य आनन्दऋषि जन्मोत्सव के अंतर्गत प्रात: 8.30 बजे से 10 बजे तक 36 णमोत्थुणं जाप और आनन्द चालीसा का पाठ कराया गया।
इस अवसर पर प्रवीणऋषि ने कहा कि नमस्कार महामंत्र और णमोत्थुणं जाप का प्रयोग जैनाचार्यों द्वारा जीवन में आने वाली समस्याओं, आपदाओं को दूर करने और जीवन को मंगलमय बनाने के लिए किया गया है। इन महामंत्रों के प्रभाव से शीघ्र ही कष्टों का हरण हो जाता है और जीव की आत्मा शुद्ध हो जाती है।
नवकार और णमोत्थुणं महामंत्र में अनन्त तीर्थंकरों का पुण्य ग्रहण करने की शक्ति है। जीवन समस्याओं का दूसरा नाम है और सामान्य व्यक्ति समस्याओं को हल करते हुए और समस्याओं से घिरता जाता है।
उपाध्याय प्रवर ने ‘आनन्द चरित्र’ में बताया कि आचार्य आनन्दऋषि महान सिद्ध पुरुष थे। जैसा नाम, वैसा ही उनका व्यक्तित्व था। अपने जीवन को आनन्दमय बनाना है तो हमें आचार्य आनन्दऋषि के जीवन चरित्र को जीना होगा, आत्मसात करना होगा।
ज्ञान के साथ आस्था होनी जरूरी है, ज्ञान व्यक्ति को सिद्धि के पार भी ले जा सकता है और नरक में भी। आस्थावान व्यक्ति समर्पण के आधार पर जीता है। जिस प्रकार मीरा के जीवन में श्रद्धा-भक्ति के साथ संगीत का भी सामंजस्य था।
मात्र ज्ञान होना तो ऐसा है कि खाद और पानी खेत में डाल देना और बीज न बोना। यदि अपने जीवन में आस्था का बीजारोपण हो गया तो उस पर धर्म, आस्था और चरित्र के फल लगेंगे। मातृशक्ति अपनी संतति में आस्था का बीजारोपण कर सकती है। उनमें अपने देव, गुरु और धर्म के प्रति आस्थावान बना सकती है।
मंगलवार को णमोत्थुणं का जप के बाद आचार्य आनन्दऋषि के जीवन चरित्र की कथा ‘आनन्द गाथा’ और प्रवचन का कार्यक्रम होगा। एकासन दिवस का आयोजन श्री एस.एस. जैन संघ, पेरम्बूर द्वारा और विद्या साहित्यदान का कार्यक्रम प्रवीणऋषि चातुर्मास समिति द्वारा किया जाएगा।